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2 min read | अपडेटेड May 01, 2025, 21:00 IST
सारांश
पिछले तीन सालों में यूट्यूब ने पूरे भारत में कंटेंट क्रीएटर्स, आर्टिस्टों और मीडिया कंपनियों को 21,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया है। पिछले साल भारत में तैयार वीडियो कंटेंट को देश के बाहर के दर्शकों ने 45 अरब घंटे तक देखा।
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वीडियो शेयरिंग प्लैटफॉर्म यूट्यूब ने भारतीय ‘कंटेंट’ तैयार करने वालों, आर्टिस्टों और मीडिया कंपनियों की वृद्धि को तेज करने के लिए 850 करोड़ रुपये से अधिक के इन्वेस्टमेंट का प्लान बनाया है। यूट्यूब के सीईओ नील मोहन ने गुरुवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले तीन सालों में यूट्यूब ने पूरे भारत में कंटेंट क्रीएटर्स, आर्टिस्टों और मीडिया कंपनियों को 21,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया है। पिछले साल भारत में तैयार वीडियो कंटेंट को देश के बाहर के दर्शकों ने 45 अरब घंटे तक देखा।
मोहन ने वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (WAVES) के इनॉग्रेशन डे के एक सेशन में कहा, ‘अगले दो सालों में यूट्यूब भारतीय आर्टिस्टों, कंटेंट क्रीएटर्स और मीडिया कंपनियों की वृद्धि में तेजी लाने के लिए 850 करोड़ रुपये से अधिक का इन्वेस्टमेंट करेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय ‘कंटेंट क्रिएटर’ इस बात का उदाहरण हैं कि भारत में क्या खास है और वह दुनिया के हर कोने में मौजूद दर्शकों के साथ इतिहास, संस्कृति और जुनून को साझा करने की क्षमता है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत को दुनिया भर के क्रीएटर्स के लिए एक प्रकाश स्तंभ बना दिया है, जो उनकी खुद की उल्लेखनीय डिजिटल उपस्थिति से स्पष्ट है। मोहन ने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी यूट्यूब पर 2.5 करोड़ से अधिक सब्सक्राइबर के साथ दुनिया के किसी भी शासन प्रमुख की तुलना में सबसे अधिक यूट्यूब फॉलोइंग रखते हैं।’ उन्होंने भारत को ‘रचनात्मक देश’ बताते हुए कहा कि पिछले साल देश के 10 करोड़ से ज्यादा चैनलों ने यूट्यूब पर ‘कंटेंट अपलोड’ किए, जिनमें से 15,000 से ज्यादा चैनलों के सब्सक्राइबर 10 लाख से अधिक थे। मोहन ने कहा, ‘यह कुछ महीने पहले के 11,000 चैनलों से ज्यादा है। यूट्यूब ने इन क्रीएटर्स और अनगिनत लोगों को न सिर्फ अपने जुनून को दुनिया के साथ साझा करने में सक्षम बनाया है, बल्कि लॉयल यूजर्स और सफल व्यवसाय बनाने में भी मदद की है।’
उन्होंने कहा, ‘पिछले तीन साल में ही हमने पूरे भारत में क्रीएटर्स, आर्टिस्टों और मीडिया कंपनियों को 21,000 करोड़ रुपये से अधिक भुगतान किया है।’ मोहन ने कहा कि किसी भी जगह के आर्टिस्ट को हर जगह के दर्शकों से जोड़ने की क्षमता ने यूट्यूब को सांस्कृतिक निर्यात का एक शक्तिशाली इंजन बना दिया है, और कुछ ही देशों ने इसका भारत जितना प्रभावी लाभ उठाया है।
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