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3 min read | अपडेटेड April 21, 2025, 16:18 IST
सारांश
Shubhanshu Shukla: ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला Axiom Space के मिशन पर SpaceX Spacecraft से अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर जाने वाले हैं। SpaceX का Falcon 9 रॉकेट इस मिशन को लॉन्च करेगा। 14 दिन के मिशन के दौरान शुक्ला ग्रैविटी, स्पेसफ्लाइट प्रोटोकॉल, इमर्जेंसी के लिए तैयारी को समझने का काम करेंगे।
भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में कदम रखने वाले दूसरे भारतीय होंगे।
भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla) अगले महीने अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (International Space Station) पर जाकर इतिहास रचेंगे। यह पहला मौका होगा जब कोई भारतीय ISS पर कदम रखेगा। कैप्टन शुक्ला का मिशन दरअसल भविष्य की तैयारी का हिस्सा है।
इंसानों को अंतरिक्ष में लेकर जाने वाले भारत के खुद के मिशन गगनयान (Gaganyaan) के लिए जिन नामों को चुना जाना है उनमें भी शुभांशु शुक्ला आगे हैं। इसलिए मई में Axiom Space के Ax-4 मिशन के तहत ISS पर जाकर उन्हें स्पेसफ्लाइट, ग्रैविटी, लॉन्च प्रोटोकॉल, इमर्जेंसी की तैयारी जैसी बारीकियां फर्स्ट हैंड सीखने को मिलेंगी।
इस मिशन पर शुक्ला के साथ अमेरिकी ऐस्ट्रोनॉट पेगी विटसन (Peggy Whitson) भी होंगी जो इस मिशन की कमांडर होंगी। पेगी के नाम सबसे ज्यादा स्पेसवॉक और सबसे ज्यादा समय अंतरिक्ष में बिताने जैसे कई रेकॉर्ड दर्ज हैं। Ax-4 क्रू के Dragon स्पेसक्राफ्ट के अंदर SpaceX के Falcon 9 रॉकेट से फ्लोरिडा स्थित स्पेस स्टेशन से उड़ान भरेगा।
यह एक्सपीडिशन 14 दिन का होगा और इस दौरान माइक्रोग्रैविटी रिसर्च, टेक्नॉलजी डेमॉन्स्ट्रेशन, एजुकेशनल प्रोग्राम्स और मीडिया इवेंट्स पर फोक किया जाएगा।
राकेश शर्मा की स्पेस ट्रिप के एक साल बाद 10 अक्टूबर, 1985 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जन्मे शुभांशु शुक्ला साल 2006 में भारतीय वायुसेना की फाइटर विंग में शामिल हुए। पिछले साल मार्च में ही वह ग्रुप कैप्टन बने हैं।
उनके पास 2000 घंटों से ज्यादा का फ्लाइट एक्सपीरियंस है जिसमें उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, Jaguar, Hawk, Dornier और An-32 जैसे एयरक्राफ्ट उड़ाए हैं।
गगनयान मिशन की ट्रेनिंग के लिए उन्हें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation, ISRO) ने 2019 में चुना था। शुक्ला ने रूस के मॉस्को, स्टार सिक्टी में स्थित युरू गगरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में एक साल तक जीतोड़ ट्रेनिंग की है।
इस साल भारत बिना क्रू के गगनयान मिशन को लॉन्च करेगा ताकि ऐस्ट्रोनॉट्स की सुरक्षा और रिकवरी की तैयारियों को पुख्ता किया जा सके। उम्मीद की जा रही है कि अगले साल चुने गए 4 ऐस्ट्रोनॉट्स को गगनयान मिशन पर भेजा जा सकेगा। इन्हें 400 किमी की ऊंचाई पर 3 दिन के लिए भेजा जाएगा और भारतीय महासागर में इनकी लैंडिंग होगी।
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