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किसी दूसरे देश से आयात किए जाने वाले उत्पादों पर सरकार जो टैक्स लगाती है, उसे टैरिफ कहते हैं।
अमूमन सरकारें घरेलू व्यापार के हितों के बचाव में आयात किए जाने वाले उत्पादों पर टैक्स लगाती हैं।
घरेलू व्यापार को बूस्ट मिलने से इंडस्ट्री के साथ-साथ रोजगार में इजाफा होने की उम्मीद भी होती है।
इसका लक्ष्य सरकारी तिजोरी भरना भी हो सकता है और किसी देश के ऊपर दबाव डालना भी।
कनाडा और मेक्सिको पर अमेरिका ने बॉर्डर पर अवैध आवाजाही के आरोप लगाते हुए टैरिफ लगाए हैं। यानी यहां राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए इस टैक्स का सहारा लिया गया है।
लक्ष्य के मुताबिक घरेलू व्यापार में तेजी और अर्थव्यवस्था में सुधार जैसे कई फायदे हो सकते हैं।
इससे उलट सस्ते विदेशी सामान की सप्लाई कम होने से नागरिकों के लिए चीजों की कीमत बढ़ सकती है।
विदेश से प्रतिस्पर्धा ना रह जाने पर घरेलू बिजनेस अच्छी क्वॉलिटी या बेहतर प्रॉडक्ट्स को अहमियत देना बंद कर सकते हैं।
देशों के बीच व्यापारिक तनाव की स्थिति पैदा होने पर वैश्विक अर्थव्यवस्था को खतरा हो सकता है।
टैरिफ दो तरह के होते हैं- खास और एड वेलोरम (Ad Valorem)।
खास टैरिफ किसी चीज के टाइप के आधार पर लगने वाला तय टैक्स होता है जबकि एड वेलोरम चीज के मूल्य पर लगता है।
जब कोई देश खुद पर लगाए जा रहे टैक्स के जवाब में दूसरे देश पर टैरिफ लगाता है, उसे रेसिप्रोकल या जवाबी टैरिफ कहते हैं।
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