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घर से लेकर ग्लोबल इकॉनमी तक, सोने जितनी कीमत शायद ही किसी चीज की हो।
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ये संस्कृति का हिस्सा तो है ही, आर्थिक संकट में सहारा भी बनता है।
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लेकिन सोने की आसमान छूतीं कीमतों के बीच विकल्पों की तलाश में सबसे ऊपर नाम आता है तांबे का।
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तांबा एक ऐसी धातु है जिसके जेवरों से लेकर बर्तनों तक के इस्तेमाल के सबूत हमें सिंधु घाटी सभ्यता से मिलते हैं।
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यहां मिले तांबे में निकेल की मौजूदगी पाई गई है जिससे इसके ओमान से आने के संकेत हैं।
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मौर्य राजवंश से लेकर गुप्ता साम्राज्य और दक्षिण में चोला राजवंश तक के बारे में जानकारियों भी ताम्रपत्रों से मिली हैं।
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सातवाहन से लेकर मुगल और ब्रिटिश काल तक तांबे के सिक्के भी करंसी के तौर पर इस्तेमाल हुए हैं।
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आज भी तांबे का इस्तेमाल बर्तन, दरवाजे-फर्निचर, टेबल वगैरह बनाने के लिए किया जाता है।
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इसकी सबसे ज्यादा अहमियत इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट जैसे मोटर और तार बनाने में होती है।
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तांबे के इस्तेमाल की विविधता के पीछे बड़ा कारण है इसकी फिजिकल और केमिकल प्रॉपर्टीज।
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तांबा बिजली और हीट, दोनों का शानदार कंडक्टर होता है, इसलिए उद्योगों में इसका खूब इस्तेमाल होता है।
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इसे आसानी से तारों या परतों में ढाला जा सकता है और ये आसानी से खराब भी नहीं होता है।
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टिन के साथ मिलकर ये ब्रॉन्ज और जिंक के साथ मिलकर ब्रास बनाता है और मजबूती देता है।
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इसलिए ये रक्षाक्षेत्र में हथियारों से लेकर एयरक्राफ्ट तक बनाने में बड़े स्तर पर काम आता है।
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भारत में तांबे के सबसे ज्यादा रिजर्व राजस्थान में हैं जिसके बाद झारखंड और मध्य प्रदेश आते हैं।
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वहीं दुनिया में तांबा सबसे ज्यादा दक्षिण अमेरिकी देशों चिली और पेरू में होता है।
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सोलर पैनल, विंड टर्बाइन से लेकर इलेक्ट्रिक गाड़ियों तक में इस्तेमाल के कारण इसे ‘भविष्य का सोना’ कहा गया है।
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