कभी चौकोर, कभी तांबे-सीसे से बने… यूं रहा सिक्कों का इतिहास

20 मार्च 2025

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देश के करंसी सिस्टम का अहम हिस्सा होते हैं सिक्के। भारत में आज ये स्टील से लेकर निकेल जैसी धातुओं से बनते हैं। सदियों पहले इन सिक्कों की शक्ल एकदम अलग होती थी।

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भारतीय सिक्कों का नाम- ‘रुपया’ 16वीं शताब्दी में शेर शाह सूरी के वक्त में आया। चांदी के एक रुपये की कीमत तांबे के चार सिक्कों के बराबर होती थी।

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भारत में सबसे पुराने सिक्के 500 B.C. के मिलते हैं। पाणिनि ने अष्टाध्यायी में बताया है कि धातु पर चिन्हों की छपाई वाले इन सिक्कों को रत्ती कहते थे।

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रुपये से मिलता-जुलता जिक्र मौर्यन वंश के दौरान मिलता है। चाणक्य इस दौरान चांदी के रुपयारूप, सोने के सुवर्णरूप, ताम्ररूप (तांबे) के सिक्कों के बारे में बताते हैं।

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लगभग 230 B.C. के वक्त में चांदी के सिक्के दुर्लभ हो गए। सातवाहन साम्राज्य में सीसे के सिक्के चलते थे जिनपर प्राकृति भाषा होती थी।

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चांदी, तांबे, कांसे से बने सिक्कों पर शासक की छवि का चलन इंडो-ग्रीक राजाओं के समय में आया जिसके निशान कनिष्क के सिक्कों में मिलते हैं।

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कुषाण वंश के राजाओं ने सबसे ज्यादा सोने के सिक्के भी जारी किए थे। इससे पता चलता है कि उस वक्त व्यापार कितनी ऊंचाई पर था।

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सोने के सबसे बेहतरीन सिक्के गुप्ता वंश के माने जाते हैं। दिनार कहे जाने वाले इन सिक्कों की शुद्धता अव्वल दर्जे की होती थी। 

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गुप्ता वंश के सिक्के इसलिए खास थे क्योंकि पहली बार इन पर संस्कृत देखने को मिली। यही नहीं, इन पर राजा अस्त्र-शस्त्र के साथ-साथ वीणा बजाते भी दिखते थे।

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दक्षिण भारत में पांड्या वंश के सिक्के चौकोर होते थे। सोने-चांदी के सिक्कों पर संस्कृत होती थी, तांबे के सिक्कों पर तमिल। चोला वंश के सिक्कों पर भी तमिल होती थी।

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विजयनगर साम्राज्य में भी सोने के सिक्के बड़ी संख्या में जारी होते थे। शुद्ध चांदी और तांबे के सिक्के भी इस्तेमाल होते थे जो अर्थव्यवस्था की मजबूती दिखाता है। 

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वहीं, 14वीं शताब्दी में दिल्ली के सुल्तान मोहम्मद-बिन-तुगलक के लाए कांसे के सिक्के जब फेल हुए तो शाही तिजोरी के खाली होने के संकेत भी मिलने लगे। 

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मुगल बादशाह अकबर ने भी गोल और चौकोर, दोनों सिक्के जारी किए। अकबर सोने के ‘इलाही सिक्के’ भी लाए जिनमें सबसे बड़े सिक्के को ‘शहंशाह’ कहते थे।

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आज स्टील, निकेल से बने सिक्कों पर हमारा राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ दिखता है जो भारत की प्रभुता को दर्शाता है।

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