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नाश्ते से लेकर व्रत फलाहार तक में खाया जाने वाला मखाना एक सुपरफूड है, इसे दुनिया ने मान लिया है।
PM नरेंद्र मोदी तक ने कह डाला है कि साल में 300 दिन वह मखाना खाते हैं।
आखिर क्यों है ये एक सुपरफूड और इसका दाम क्यों छूता है आसमान, आपको बताते हैं..
मखाना, जिसे फॉक्स नट या लोटस सीड भी कहते हैं, इसमें फैट, सोडियम कम होता है और कॉलेस्टेरॉल भी कम बढ़ाता है।
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कम सोडियम हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है। आयुर्वेद के मुताबिक ये किडनी की सेहत भी अच्छी रखता है।
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जनवरी 2025 में मखाने की कीमत ₹1200/किलो पार कर गई थी। भारत में मखाना बाजार 2024 में ₹8.5 अरब से उछलकर 2033 में ₹19.6 अरब पहुंच सकता है।
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मखाना बनाने का प्रोसेस बहुत कठिन होता है। ज्यादातर जगहों पर मजदूर सबसे पहले मिट्टी के बर्तन में तेज तापमान पर कई बार बीज रोस्ट करते हैं।
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इसके बाद इसे मूसर से फोड़ा जाता है। यहां पर बेहद कुशल कारीगरों की जरूरत होती है क्योंकि एक सेकंड की देरी मखाने की क्वॉलिटी गिरा सकती है।
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पानी पर होने वाली ये सीड बिहार, असम, त्रिपुरा, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में पैदा होती है। बिहार में मिथिला मखाने को जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) टैग भी मिला है।
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भारत में 15,000 हेक्टेयर एरिया में 1.2 लाख MT मखाने के सीड होते हैं। फूलने के बाद 40 हजार MT मखाना तैयार होता है।
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भारत मखाने का दुनिया में सबसे बड़ा निर्यातक है। हम US, UK, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और UAE को मखाना एक्सपोर्ट करते हैं।
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