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सौर मंडल में धरती का अगर कोई दिन-रात, हर मौसम का साथी है, तो वह है चांद।
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आर्कटिक और अंटार्कटिक सर्कल में सूरज तो ओझल हो जाता है लेकिन चांद नहीं।
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पर आखिर पृथ्वी का चक्कर काटने वाला ये उपग्रह आया कहां से?
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सौर मंडल में सैटर्न, जूपिटर और दूसरे ग्रहों के भी कई चांद हैं और माना जाता है कि इनमें से ज्यादातर एक ही तरीके से बने होंगे।
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जब हमारा सूरज बना था तो उसके इर्द-गिर्द मौजूद मलबा ग्रैविटी के असर से अलग-अलग आकार ले रहा था।
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इसी के कुछ हिस्सों से ग्रह बने, कुछ उल्कापिंड रह गए जबकि कुछ चांद बनकर ग्रहों का चक्कर काटने लगे।
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पृथ्वी के चांद की कहानी का पता हमें उस पर भेजे गए मिशन्स से मिलता है जैसे नासा के अपोलो मिशन।
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अपोलो मिशन 1960 ओर 70 के दशक में जो सैंपल लेकर लौटे, उनसे पता चला कि चांद सौर मंडल के बनने के 6 करोड़ साल बाद पैदा हुआ होगा।
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चांद जब बना था तब ये पिघला हुआ सा रहा होगा और करोड़ों साल तक मैग्मा के समुंदर में ढका रहा होगा।
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सबसे दिलचस्प खोज वह हुई जिसमें पाया गया कि चांद के सैंपल का केमिकल मेक-अप पृथ्वी की चट्टानों से मेल खाता है।
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इनमें मिली बसाल्ट की चट्टानें, ऑक्सिजन आइसोटोप बताते हैं कि एक समय पर हमारा चांद धरती का ही हिस्सा था।
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यहां से निकलती है चांद के बनने की थिअरी। इसके मुताबिक मंगल ग्रह के आकार का एक ऑब्जेक्ट (थेया) Theia पृथ्वी से आकर टकराया था।
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ये टक्कर इतनी जोरदार थी कि इससे धरती से निकला मलबा अंतरिक्ष में जा पहुंचा और समय के साथ यही हमारे चांद में तब्दील हो गया।
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यही नहीं, नेचर जर्नल में छपी स्टडी के मुताबिक इस टक्कर के बाद थेया खुद पृथ्वी के अंदर समा गया और आज भी मैंटल का हिस्सा है।
वीडियो: NASA/Durham University/Jacob Kegerreis
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