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  1. Sovereign Gold Bonds: समय से पहले रिडेम्पशन का सुनहरा मौका, समझिए मुनाफे और टैक्स का पूरा गणित

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Sovereign Gold Bonds: समय से पहले रिडेम्पशन का सुनहरा मौका, समझिए मुनाफे और टैक्स का पूरा गणित

Upstox

3 min read | अपडेटेड April 22, 2025, 13:58 IST

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सारांश

Sovereign Gold Bonds की अवधि 8 साल की होती है, लेकिन 5 साल बाद आप चाहे तो इसे भुना (redeem) सकते हैं। हर 6 महीने में 2.5% ब्याज मिलता है। मेच्योरिटी पर आपको उस समय के सोने की कीमत के हिसाब से रकम मिलती है।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) की अवधि 8 साल की होती है, लेकिन 5 साल बाद आप चाहे तो इसे भुना (redeem) सकते हैं।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) की अवधि 8 साल की होती है, लेकिन 5 साल बाद आप चाहे तो इसे भुना (redeem) सकते हैं।

Sovereign Gold Bonds: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कुछ सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) सीरीज के लिए प्रीमैच्योर रिडेम्पशन (समय से पहले पैसा निकालने) की सुविधा शुरू की है। ये गोल्ड बॉन्ड्स भारत सरकार ने नवंबर 2015 में लॉन्च किए थे ताकि लोग सोने को फिजिकली खरीदने के बजाय उसमें इनवेस्ट करें और देश की अर्थव्यवस्था में सोने का बेहतर उपयोग हो।

SGB की खास बातें

इसकी अवधि 8 साल की होती है, लेकिन 5 साल बाद आप चाहे तो इसे भुना (redeem) सकते हैं। हर 6 महीने में 2.5% ब्याज मिलता है। मेच्योरिटी पर आपको उस समय के सोने की कीमत के हिसाब से रकम मिलती है।

अभी गोल्ड की कीमत बहुत बढ़ गई है। ऐसे में सरकार ने SGB को समय से पहले बंद करने और उन्हें रिडीम करने का फैसला किया है, क्योंकि सरकार के लिए उधारी खर्च बढ़ गया है।

SGB पर निवेशकों को तगड़ा रिटर्न

फरवरी 2024 में SGB जारी हुआ था 6,263 रुपये प्रति ग्राम पर। 16 अप्रैल 2025 को सोने की कीमत 9,457 रुपये प्रति ग्राम हो गई, यानी 1 साल में 51% का फायदा। इससे पहले 2017 में जारी एक SGB (2964 रुपये पर) को 9221 रुपये में रिडीम किया गया। इसका मतलब है कि जिन लोगों ने गोल्ड बॉन्ड खरीदे थे, उन्हें बहुत अच्छा रिटर्न मिला है।

अब क्या करें SGB निवेशक?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर आपके पोर्टफोलियो में गोल्ड की हिस्सेदारी 10-15% से ज़्यादा हो गई है, तो इस मौके पर मुनाफा बुक करना समझदारी हो सकती है। अगर आपकी गोल्ड में हिस्सेदारी सीमित है, तो आप SGBs को मेच्योरिटी तक होल्ड करके ब्याज और संभावित ऊंची कीमत का फायदा उठा सकते हैं।

गोल्ड क्यों फायदेमंद है?

गोल्ड एक रियल एसेट है। इसमें डिफॉल्ट या क्रेडिट का रिस्क नहीं होता। कोरोना, युद्ध, ट्रेड वार्स जैसी अनिश्चितताओं में गोल्ड ने अच्छा प्रदर्शन किया है। दुनियाभर के सेंट्रल बैंक भी अब गोल्ड खरीद रहे हैं ताकि अपने रिज़र्व को सुरक्षित बना सकें। SGBs भले ही अब जारी नहीं हो रहे, लेकिन गोल्ड आज भी एक मजबूत और सुरक्षित निवेश विकल्प बना हुआ है। खासतौर पर आर्थिक और राजनीतिक अनिश्चितता के दौर में।

SGB पर टैक्स नियम

SGB से मिलने वाला ब्याज टैक्सेबल होता है और आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार "अन्य स्रोतों से आय" के तहत उस पर टैक्स देना पड़ता है। यानी यह ब्याज आपकी कुल आय में जुड़ता है और उस पर उतना ही टैक्स लगता है जितना आपके टैक्स स्लैब में आता है। हालांकि, अगर आप SGBs को पांच साल बाद RBI द्वारा तय प्रीमैच्योर रिडेम्पशन विंडो के ज़रिए बेचते हैं, तो उस पर किसी भी तरह का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता है।

लेकिन अगर आप SGBs को सेकेंडरी मार्केट में बेचते हैं, तो उस पर कैपिटल गेन टैक्स, सर्चार्ज और हेल्थ-एजुकेशन सेस भी देना होगा। इसलिए टैक्स बचाने के लिए या तो पांच साल बाद RBI के प्रीमैच्योर रिडेम्पशन विंडो का इस्तेमाल करें या फिर पूरे 8 साल तक SGBs को होल्ड करें। आठ साल पूरे होने पर मिलने वाला मुनाफा टैक्स फ्री होता है क्योंकि उसे कैपिटल गेन के तौर पर नहीं गिना जाता। ध्यान रहे, टैक्स नियमों का पालन करना आपकी ज़िम्मेदारी है, इसलिए सोच-समझकर कदम उठाएं।

लेखकों के बारे में

Upstox
Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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