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2 min read | अपडेटेड March 03, 2025, 15:52 IST
सारांश
यूनिफाइड पेंशन स्कीम 1 अप्रैल 2025 से लागू होनी है, लेकिन क्या आपको पता है कि इसे कैसे कैलकुलेट किया जाता है और यह क्यों नेशनल पेंशन स्कीम से अलग है। चलिए समझते हैं एनपीएस और यूपीएस में अंतर और यूपीएस को कैलकुलेट करने का तरीका भी।
नेशनल पेंशन स्कीम से कैसे अलग होगी यूनिफाइड पेंशन स्कीम
OPS, NPS और UPS तीनों ही सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन स्कीम हैं, ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS), नेशनल पेंशन स्कीम NPS और UPS (यूनिफाइड पेंशन स्कीम) कैसे ये तीनों आपस में अलग हैं, चलिए समझते हैं। सबसे पहले बात करते हैं OPS यानी कि ओल्ड पेंशन स्कीम की, 2004 में बंद कर दी गई थी। जब ओल्ड पेंशन स्कीम की फिर से मांग उठने लगी, तो सरकार यूनिफाइड पेंशन स्कीम लेकर आ रही है। केंद्र सरकार ने नेशनल पेंशन स्कीम के तहत आने वाले कर्मचारियों को यूनिफाइड पेंशन स्कीम का ऑप्शन दिया है, यह स्कीम 1 अप्रैल से लागू की जानी है, लेकिन चलिए समझते हैं कि कैसे यूनिफाइड पेंशन स्कीम मौजूदा नेशनल पेंशन स्कीम से अलग होगी।
इसमें आपकी पेंशन मार्केट लिंक्ड होती है, जिससे आपको रिटायरमेंट के समय ज्यादा पैसा मिल सके, लेकिन साथ ही इसमें इन्वेस्टमेंट रिस्क भी रहता है। मार्केट के हिसाब से आपके पैसों पर ब्याज मिलता है। भारत सरकार ने देश में पेंशन सेक्टर में विकास और विनियमन के लिए 10 अक्टूबर 2003 को पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) स्थापित किया, 1 जनवरी 2004 से नेशनल पेंशन स्कीम शुरू की गई। शुरुआत में एनपीएस सरकार में भर्ती होने वाले नए कर्मचारियों (सशस्त्र सेना बलों के अलावा) के लिए शुरू की गई थी। एनपीएस 1 मई 2009 से स्वैच्छिक आधार पर असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों सहित देश के सभी नागरिकों को प्रदान की गई है।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) में हर महीने कम से कम 10,000 रुपये की पेंशन मिलेगी ही। 1 अप्रैल से इसे लागू किया जाना है, लेकिन यहां आपको बता दें कि अगर एक बार आपने NPS से UPS में आने का ऑप्शन चुन लिया, तो उनके पास वापस NPS में आने का मौका नहीं होगा। UPS में पेंशन कैलकुलेट करने का एक फॉर्मूला है, इस फॉर्मूले से कोई भी व्यक्ति अपनी पेंशन को कैलकुलेट कर सकता है।
UPS पेंशन = (P/2) x (Q/300) x (IC/BC)
यहां P बेसिक पे, Q क्वॉलिफाइंग सर्विस मंथ में, IC इंडिविजुअल कॉर्पस और BC बेंचमार्क कॉर्पस है। इस फॉर्मूले का इस्तेमाल तभी किया जा सकता है, जब किसी कर्मचारी की सर्विस 25 साल या इससे ज्यादा बची हो। अगर सर्विस 25 साल से कम बची है, तो पेआउट उसके रेशियो में होगा, अगर कर्मचारी 25 साल सर्विस से पहले स्वैच्छिक रिटायरमेंट लेता है, तो पेआउट रिटायरमेंट की असली तारीख से शुरू होगा।
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