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Income tax return filing: इन डॉक्यूमेंट्स को रखना बिल्कुल ना भूलें, यहां चेक करें पूरी लिस्ट

Upstox

4 min read | अपडेटेड March 19, 2025, 12:45 IST

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सारांश

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने जब हम बैठते हैं, तो कई बार ऐसा हो जाता है कि बीच में हमें डॉक्यूमेंट्स ढूंढना पड़ता है, तो इससे बेहतर यह है कि पहले डॉक्यूमेंट्स की चेकलिस्ट तैयार करें, उन्हें इकट्ठा करें और फिर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करें।

इनकम टैक्स रिटर्न

इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग के लिए जरूरी हैं ये डॉक्यूमेंट्स (Photo: Shutterstock)

भारत में हर एक टैक्सपेयर का कर्तव्य होता है कि वह समय पर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर दे। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए क्या-क्या डॉक्यूमेंट्स चाहिए होते हैं, उसकी पूरी चेकलिस्ट हम आपको बताने जा रहे हैं, जिससे आपका यह काम कुछ हद तक आसान हो सकता है। भारत में चाहे सैलरी कमाने वाले लोग हों, या फिर अपना बिजनेस करने वाले, इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग सबके लिए ही उतनी ही अहम होती है। अगर आप डॉक्यूमेंट्स की चेकलिस्ट बनाकर सारे डॉक्यूमेंट्स लेकर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने बैठेंगे, तो इससे आपका काम काफी हद तक आसान हो जाएगा।

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हुए इन डॉक्यूमेंट्स की पड़ती है जरूरत
1- पैन कार्ड और आधार कार्ड

ITR फाइल करने के लिए PAN कार्ड अनिवार्य है, क्योंकि यह टैक्स सिस्टम में एक खास पहचानकर्ता है। इसके अलावा, पैन को आधार कार्ड से जोड़ना अनिवार्य है।

2- फॉर्म-16

सैलरी पाने वाले व्यक्तियों के लिए, फॉर्म 16 एम्प्लॉयर द्वारा जारी किया जाता है और यह व्यक्ति की सैलरी, टैक्स डिडक्शन और TDS की समरी देता है। यह फॉर्म नौकरीपेशा व्यक्तियों के लिए जरूरी है क्योंकि यह इनकम और टैक्स पेमेंट्स की सटीक रिपोर्टिंग में मदद करता है।

3- फॉर्म 26AS

यह इनकम टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल पर उपलब्ध है और एम्प्लॉयर या बैंकों द्वारा काटे गए टीडीएस समेत किसी की ओर से किए गए सभी टैक्स पेमेंट्स की डिटेल देता है। फॉर्म 26AS की क्रॉस-चेकिंग यह सुनिश्चित करती है कि काटे गए सभी टैक्स का पैसा सरकार के पास सही तरीके से जमा किया गया है।

4- सैलरी स्लिप

फॉर्म 16 के अलावा, सैलरी स्लिप नौकरीपेशा व्यक्तियों के लिए अलाउंस, डिडक्शन और टैक्सेबल इनकम को वेरिफाई करने में मदद कर सकती है।

5- बैंक डिटेल्स

ITR दाखिल करते समय सभी एक्टिव बैंक अकाउंट्स की जानकारी देना अनिवार्य है। इसमें बैंक का नाम, अकाउंट नंबर, IFSC कोड, अकाउंट टाइप और अकाउंट नंबर जैसी जानकारी शामिल है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इन डिटेल्स का इस्तेमाल किसी व्यक्ति के आय स्रोतों को वेरिफाई करने और हाइ वैल्यू वाले ट्रांजैक्शन को ट्रैक करने के लिए करता है।

6- बैंक स्टेटमेंट या पासबुक

किसी व्यक्ति के बैंक अकाउंट की डिटेल या पासबुक फाइनेंशियल ईयर के दौरान सेविंग अकाउंट्स, फिक्स डिपॉजिट या अन्य इन्वेस्टमेंट्स से कमाए इंटरेस्ट की कैलकुलेशन करने में मदद करता है। इन डिटेल्स को संभाल कर रखने से यह सुनिश्चित होता है कि सभी टैक्सेबल इनकम सही तरीके से रिपोर्ट की गई है।

7- बैंक या पोस्ट ऑफिस से इंटरेस्ट सर्टिफिकेट्स

अगर किसी व्यक्ति के पास सेविंग अकाउंट, फिक्स डिपॉजिट या रिकरिंग डिपॉजिट है, तो बैंक और पोस्ट ऑफिस इंटरेस्ट सर्टिफिकेट जारी करते हैं जो फाइनेंशियल ईयर के दौरान कमाए गए इंटरेस्ट की डिटेल्स देते हैं। इससे टैक्सेबल इंटरेस्ट इनकम की कैलकुलेशन करने में मदद मिलती है।

8- टैक्स डिडक्शन के लिए इन्वेस्टमेंट्स प्रूफ

सेक्शन 80सी, 80डी और 80जी के तहत डिडक्शन क्लेम करने के लिए, आपको कई तरह के डॉक्यूमेंट्स प्रूफ की जरूरत होती है। इनमें लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी प्रीमियम भरने की रसीदें, पब्लिक प्रोविडेंट फंड में जमा किए गए पैसों की रसीदें, इक्विटी-लिंक्ड सेविंग्स स्कीम डिटेल्स, होम लोन इंटरेस्ट और प्रिंसिपल रिपेमेंट सर्टिफिकेट्स, हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम रसीदें (धारा 80डी के तहत कटौती के लिए), दान रसीदें (यदि लागू हो, तो धारा 80जी कटौती के लिए) और अगर लागू हो, तो कैपिटल गेन स्टेटमेंट शामिल हैं। अगर किसी ने स्टॉक, म्यूचुअल फंड, प्रॉपर्टी या कोई अन्य पूंजीगत संपत्ति बेची है, तो कैपिटल गेन टैक्स की कैलकुलेशन करने के लिए ब्रोकर, म्यूचुअल फंड हाउस या रियल एस्टेट डॉक्यूमेंट्स से कैपिटल गेन डिटेल्स की जरूरत होती है।

9- डिविडेंड इनकम की डिटेल्स

अगर किसी व्यक्ति ने स्टॉक या म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट किया है, तो फाइनेंशियल ईयर के दौरान मिले किसी भी डिविडेंड इनकम का खुलासा आपको अपना टैक्स रिटर्न फाइल करते समय करना होगा।

10- रेंटल इनकम डिटेल्स और HRA डॉक्यूमेंट्स

अगर आपके पास किराए से कोई इनकम आ रही है, तो उस रेंट एग्रीमेंट को संभाल कर रखना चाहिए। अगर कोई हाउस रेंट अलाउंस का दावा करता है, तो किराए की रसीदें और मकान मालिक के पैन कार्ड डिटेल्स की जरूरत होती है, अगर किराया प्रति वर्ष 1 लाख रुपये से अधिक है, जो कि 8,333 रुपये प्रति माह है।

11- बिजनेस इनकम के डॉक्यूमेंट्स

जो लोग सेल्फ-एम्प्लॉयड हैं, फ्रीलांसिंग करते हैं या किसी बिजनेस के मालिक हैं, उन्हें कुछ रिकॉर्ड बनाए रखने की जरूरत होती है। इन रिकॉर्ड्स में प्रॉफिट और लॉस डिटेल्स, बैलेंस शीट, जीएसटी रिटर्न (अगर लागू हो), चालान और रसीदें शामिल हैं।

12- फॉरेन इनकम और एसेट्स की डिटेल्स

यदि किसी शख्स के पास फॉरेन बैंक अकाउंट्स, एसेट्स या फॉरेन से कोई इनकम है, तो उन्हें इंडियन टैक्स कानून के मुताबिक आईटीआर फाइल करते समय उनका खुलासा करना होगा।

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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