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2 min read | अपडेटेड May 09, 2025, 16:16 IST
सारांश
Credit Guarantee Scheme for Startups में 10 करोड़ रुपये तक के क्रेडिट अमाउंट के लिए गारंटी कवर की सीमा को भी बढ़ाकर डिफॉल्ट अमाउंट का 85% और 10 करोड़ रुपये से अधिक के क्रेडिट अमाउंट के लिए डिफॉल्ट अमाउंट का 75% कर दिया गया है।
सरकार ने क्रेडिट गारंटी स्कीम फॉर स्टार्टअप में किए क्या बदलाव?
मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स के डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) ने क्रेडिट गारंटी स्कीम फॉर स्टार्टअप (CGSS) के एक्सपेंशन का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। जिसके तहत स्कीम के अंतर्गत हर उधारकर्ता के गारंटी कवर की अधिकतम सीमा को 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये कर दिया गया है। 10 करोड़ रुपये तक के क्रेडिट अमाउंट के लिए गारंटी कवर की सीमा को भी बढ़ाकर डिफॉल्ट अमाउंट का 85% और 10 करोड़ रुपये से अधिक के क्रेडिट अमाउंट के लिए डिफॉल्ट अमाउंट का 75% कर दिया गया है।
इससे स्टार्टअप फर्मों के लिए संशोधित कर्ज गारंटी स्कीम से उन्हें क्रेडिट देने से जुड़ा जोखिम कम होगा जिससे रिसर्च एंड डेवलपमेंट करने और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के सृजन के लिए उन्हें अधिक वित्तीय मदद मिल सकेगी। शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई।
सरकार ने गुरुवार को संशोधित ‘स्टार्टअप के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम’ (सीजीएसएस) को मंजूरी दी। सीजीएसएस का व्यापक उद्देश्य पात्र स्टार्टअप कंपनियों को फंडिंग देने के लिए सदस्य संस्थानों द्वारा दिए गए क्रेडिट साधनों पर निर्दिष्ट सीमा तक गारंटी देना है। यह योजना स्टार्टअप कंपनियों को बेहद जरूरी गारंटी-फ्री क्रेडिट मुहैया कराने में मदद करेगी।
डीपीआईआईटी ने कहा, ‘विस्तारित योजना से स्थापित वित्तीय संस्थानों में स्टार्टअप को क्रेडिट देने से जुड़े जोखिम और कम हो जाएंगे। इससे स्टार्टअप के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट, एक्सपेरिमेंट करने और अत्याधुनिक इनोवेशन और प्रौद्योगिकियों के सृजन के लिए अधिक वित्तीय प्रवाह और मार्ग उपलब्ध हो सकेगा।’ इसके अलावा, 27 चैंपियन सेक्टरों में स्टार्टअप्स के लिए एनुअल गारंटी फीस (एजीएफ) को 2% प्रति वर्ष से घटाकर 1% प्रति वर्ष कर दिया गया है।
भारत के मैनुफैक्चरिंग और सर्विस क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 'मेक इन इंडिया' के तहत चैंपियन सेक्टरों की पहचान की है। चैंपियन सेक्टरों के लिए एजीएफ में कमी से चयनित सेक्टर्स के लिए वित्तपोषण अधिक आकर्षक हो जाएगा और घरेलू विनिर्माण और आत्मनिर्भरता में नवाचार को प्रोत्साहन मिलेगा। देश में स्टार्टअप कंपनियों के लिए एक जीवंत पारिस्थितिकी तैयार करने के लिए स्टार्टअप इंडिया पहल और उनके लिए एक कार्ययोजना 16 जनवरी, 2016 को शुरू की गई थी।
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