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  1. न्यू टैक्स रिजीम में होम लोन के ब्याज से टैक्स बचाना पड़ सकता है भारी, प्रॉपर्टी बेचने से पहले जान लें ये नियम

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न्यू टैक्स रिजीम में होम लोन के ब्याज से टैक्स बचाना पड़ सकता है भारी, प्रॉपर्टी बेचने से पहले जान लें ये नियम

विकास तिवारी

3 min read | अपडेटेड December 19, 2025, 09:22 IST

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सारांश

नई टैक्स व्यवस्था में होम लोन के ब्याज पर छूट नहीं मिलती है। ऐसे में कई लोग प्रॉपर्टी बेचते समय इस ब्याज को लागत में जोड़कर कैपिटल गेन टैक्स कम करना चाहते हैं। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऐसा करना जोखिम भरा हो सकता है और आपको इनकम टैक्स विभाग से नोटिस मिल सकता है।

कैपिटल गेन टैक्स

प्रॉपर्टी बेचते समय होम लोन के ब्याज को लागत में जोड़ने पर हो सकता है विवाद।

अगर आप खुद के रहने वाले घर के लिए होम लोन की EMI भर रहे हैं और आपने इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए नई टैक्स व्यवस्था यानी न्यू टैक्स रिजीम को चुना है, तो यह खबर आपके लिए बहुत जरूरी है। हम सभी जानते हैं कि नई टैक्स व्यवस्था में होम लोन के ब्याज पर धारा 24बी के तहत मिलने वाली छूट नहीं मिलती है। यह फायदा सिर्फ पुरानी टैक्स व्यवस्था में ही मिलता है। लेकिन जब बात उस घर को बेचने की आती है, तो कई टैक्सपेयर्स के मन में एक सवाल आता है। सवाल यह है कि जब हमने ब्याज पर कोई छूट ली ही नहीं, तो क्या हम घर बेचते समय इस ब्याज की रकम को घर की खरीद लागत में जोड़ सकते हैं। ऐसा करने से कैपिटल गेन कम हो जाएगा और टैक्स भी कम लगेगा।

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क्या कहता है कानून?

सीए डॉक्टर सुरेश सुराणा के मुताबिक, यह मामला इतना सीधा नहीं है जितना दिखता है। दरअसल, घर खरीदने या बनवाने के लिए लिए गए लोन पर चुकाए गए ब्याज की छूट आमतौर पर 'इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी' के तहत मिलती है। लेकिन नई टैक्स व्यवस्था (सेक्शन 115बीएसी) चुनने वालों को यह हक नहीं मिलता है। ऐतिहासिक रूप से विवाद तब होता था जब लोग ब्याज पर टैक्स छूट भी ले लेते थे और बाद में घर बेचते समय उसी ब्याज को लागत में जोड़कर दोबारा फायदा (डबल बेनिफिट) लेने की कोशिश करते थे। इस दोहरे फायदे को रोकने के लिए सरकार ने फाइनेंस एक्ट 2023 में कानून में बदलाव किया था।

बता दें कि सरकार ने सेक्शन 48 में बदलाव करके यह साफ कर दिया कि अगर आपने ब्याज पर धारा 24बी या किसी और सेक्शन के तहत छूट ली है, तो उसे प्रॉपर्टी की लागत में नहीं जोड़ा जा सकता है। इसका मकसद डबल डिडक्शन को रोकना था। लेकिन यहां एक बड़ा पेंच है। कानून यह साफ नहीं करता है कि उन लोगों का क्या होगा जिन्होंने नई रिजीम के कारण ब्याज पर कभी कोई छूट ली ही नहीं है। क्या वे इसे लागत में जोड़ सकते हैं। कानून की इस चुप्पी ने कन्फ्यूजन पैदा कर दिया है।

जानकारों की अलग-अलग है राय

इस मुद्दे पर दो तरह के विचार हैं। एक तर्क यह है कि चूंकि टैक्सपेयर ने ब्याज पर कभी कोई छूट नहीं ली, इसलिए अगर वह इसे लागत में जोड़ता है तो यह 'डबल बेनिफिट' नहीं होगा। यह तर्क टैक्सपेयर के पक्ष में जाता है। दूसरी तरफ, टैक्स अधिकारी यह तर्क दे सकते हैं कि नई रिजीम में ब्याज की छूट न देना सरकार की नीति का हिस्सा है। अगर आप इसे कैपिटल गेन में जोड़कर टैक्स बचाते हैं, तो यह नई रिजीम के मूल उद्देश्य के खिलाफ होगा। ऐसे में इनकम टैक्स विभाग आपको नोटिस भेज सकता है और इसे नियम का उल्लंघन मान सकता है।

अदालतों के फैसले भी बंटे हुए

हैरानी की बात यह है कि इस मुद्दे पर न्यायिक संस्थाएं (ट्रिब्यूनल) भी एकमत नहीं हैं। दिल्ली आईटीएटी ने 2024 में 'राजेश सलूजा बनाम डीसीआईटी' मामले में फैसला सुनाया था कि होम लोन के ब्याज का प्रॉपर्टी खरीदने से सीधा संबंध (डायरेक्ट नेक्सस) नहीं है, इसलिए इसे लागत में नहीं जोड़ा जा सकता है। वहीं इसके उलट, जोधपुर आईटीएटी ने 2017 में 'गायत्री माहेश्वरी बनाम आईटीओ' मामले में कहा था कि लोन का ब्याज प्रॉपर्टी खरीदने की लागत का ही हिस्सा है।

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लेखकों के बारे में

विकास तिवारी
Vikash Tiwary is a finance journalist with 6+ years of newsroom experience. He is currently growing Upstox Hindi, crafting data-driven stories on stocks, personal finance, mutual funds, and global markets, while exploring how AI can simplify finance. His work spans Zee Business, TV9 Bharatvarsh, ABP News, India TV, and Inshorts. He also holds NISM certification.

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