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Fixed Deposit: रेपो रेट घटने से क्या FD की ब्याज दरों में फिर होगी कटौती? यह स्ट्रेटेजी आ सकती है आपके काम

Shubham Singh Thakur

3 min read | अपडेटेड December 05, 2025, 17:58 IST

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सारांश

Fixed Deposit: रेपो रेट घटने के बाद बैंक तुरंत FD की ब्याज दरें न घटाएं, लेकिन आने वाले समय में कम जरूर कर सकते हैं। खासतौर पर 1 से 2 साल की FD पर सबसे ज्यादा असर पड़ सकता है। बैंक पहले से ही धीरे-धीरे FD की दरें घटा रहे हैं। फरवरी से अब तक कई बड़े बैंकों ने FD की ब्याज दरों में 0.50% से 1% तक की कटौती कर दी है।

Fixed Deposit

Fixed Deposit: लोग FD के अलावा दूसरे निवेश विकल्प जैसे कॉरपोरेट FD, डेट म्यूचुअल फंड और सरकारी बॉन्ड पर भी विचार कर सकते हैं।

Fixed Deposit: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज 5 दिसंबर को रेपो रेट में 0.25% (25 बेसिस पॉइंट) की कटौती कर इसे 5.25% कर दिया है। फरवरी के बाद यह चौथी बार है जब ब्याज दर घटाई गई है। इसका सीधा असर फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में पैसा लगाने वालों पर पड़ेगा, खासकर उन लोगों पर जो सुरक्षित निवेश चाहते हैं, जैसे सीनियर सिटीजन। आइए समझते हैं कि RBI का यह फैसला किस तरह FD में मिलने वाले रिटर्न को प्रभावित कर सकता है।
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घट सकती है FD की ब्याज दरें

रेपो रेट घटने के बाद बैंक तुरंत FD की ब्याज दरें न घटाएं, लेकिन आने वाले समय में कम जरूर कर सकते हैं। खासतौर पर 1 से 2 साल की FD पर सबसे ज्यादा असर पड़ सकता है। बैंक पहले से ही धीरे-धीरे FD की दरें घटा रहे हैं। फरवरी से अब तक कई बड़े बैंकों ने FD की ब्याज दरों में 0.50% से 1% तक की कटौती कर दी है।

SBI की ज्यादा ब्याज वाली FD 7.1% से घटकर 6.6% हो गई है। HDFC बैंक की दर भी 7.25% से घटकर 6.6% आ गई है। वहीं छोटे और मिड-साइज बैंकों ने इससे भी ज्यादा कटौती की है, कुछ मामलों में 1.5% से 2.25% तक। RBI का मकसद इस कटौती से आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है, लेकिन इससे FD पर मिलने वाला रिटर्न कम होता जा रहा है। इसलिए निवेशकों को अब अपनी रणनीति बदलने की जरूरत है।

क्या हो सकती है निवेशकों की रणनीति

एक अच्छा तरीका यह हो सकता है कि आप अपनी FD को अलग-अलग अवधि में बांट दें, जिसे लैडरिंग स्ट्रैटेजी कहते हैं। इससे आपको समय-समय पर पैसे भी मिलते रहेंगे और ब्याज दरों के उतार-चढ़ाव का जोखिम भी कम होगा।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर अभी कुछ ठीक-ठाक ब्याज दर मिल रही है, तो लंबी अवधि की FD में पैसा लॉक करना समझदारी हो सकती है। सीनियर सिटीजन को अभी भी 0.50% ज्यादा ब्याज मिल रहा है, लेकिन आगे चलकर यह फायदा भी कम हो सकता है।

इसके अलावा, लोग FD के अलावा दूसरे निवेश विकल्प जैसे कॉरपोरेट FD, डेट म्यूचुअल फंड और सरकारी बॉन्ड पर भी विचार कर सकते हैं। हालांकि इन सबमें जोखिम FD से थोड़ा ज्यादा होता है, इसलिए निवेश से पहले अपनी जरूरत, लक्ष्य और जोखिम उठाने की क्षमता को जरूर समझें।

क्या है FD में लैडरिंग स्ट्रैटेजी

लैडरिंग स्ट्रैटेजी निवेश का एक खास तरीका है, जिसमें आप अपना पूरा पैसा एक ही FD में डालने के बजाय उसे अलग-अलग अवधि (1, 2, 3, 4, 5 साल) वाली कई FDs में बांट देते हैं। इससे हर साल आपकी एक FD मैच्योर होती है, जिससे आपके पास लिक्विडिटी बनी रहती है और इमरेजंसी में FD तोड़ने की जरूरत नहीं पड़ती। अगर ब्याज दर आगे बढ़ गई तो आपको FD मैच्योर होने के बाद उसे बेहतर जगह पर निवेश करने का मौका भी मिल जाता है।

(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। किसी भी तरह के फैसले से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें।)
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लेखकों के बारे में

Shubham Singh Thakur
Shubham Singh Thakur is a business journalist with a focus on stock market and personal finance. An alumnus of the Indian Institute of Mass Communication (IIMC), he is passionate about making financial topics accessible and relevant for everyday readers.

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