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डिविडेंड आय का मतलब कंपनी के मुनाफे का हिस्सा होता है जो शेयरहोल्डर्स को मिलता है। यह स्टॉक्स, ULIP या म्युचुअल फंड्स से भी मिल सकता है।
डिविडेंड घरेलू या विदेशी कंपनी, इक्विटी या डेट फंड से मिल सकता है। हर स्रोत पर टैक्स अलग-अलग लागू होता है, जो इनकम टैक्स एक्ट में बताया गया है।
अब डिविडेंड इनकम पर टैक्स निवेशक को देना होता है। 5000 रुपये तक टैक्स नहीं, उसके ऊपर आपकी इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा।
डिविडेंड आपकी इनकम में जुड़ता है और स्लैब रेट से टैक्स लगता है। NRI को 20% टैक्स देना होता है। ₹5000 से ज्यादा पर 10% TDS कटता है।
फाइनल डिविडेंड पर टैक्स तब लगता है जब उसे घोषित, बांटा या दिया जाए–जो पहले हो। अंतरिम डिविडेंड पर टैक्स पैसे मिलने वाले साल में देना होता है।
पात्र होने के लिए निवेशकों को एक्स-डेट से एक दिन पहले स्टॉक खरीदना होता है। एक्स-डेट आम तौर पर रिकॉर्ड डेट से एक कारोबारी दिन पहले होता है।
इससे ये पता चलता है कि कंपनी मार्केट वैल्यू की तुलना में कितना डिविडेंड देती है। इसके लिए मिले डिविडेंड को शेयर के मार्केट प्राइस से भाग देकर 100 से गुणा करते हैं।
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