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  1. डेट फंड से क्यों भागे निवेशक और गोल्ड ईटीएफ की चमक क्यों पड़ी फीकी? एक्सपर्ट ने बताई अंदर की बात

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डेट फंड से क्यों भागे निवेशक और गोल्ड ईटीएफ की चमक क्यों पड़ी फीकी? एक्सपर्ट ने बताई अंदर की बात

विकास तिवारी

3 min read | अपडेटेड December 11, 2025, 13:54 IST

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सारांश

नवंबर महीने में डेट म्यूचुअल फंड्स से 25,693 करोड़ रुपये की भारी निकासी हुई है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ में निवेश जारी है, लेकिन उसकी रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ी है। मॉर्निंगस्टार की एक्सपर्ट ने बताया कि कंपनियों द्वारा टैक्स और अन्य भुगतान के चलते लिक्विड फंड्स से पैसा निकाला गया है।

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डेट फंड और गोल्ड ईटीएफ के ट्रेंड पर बात करते हुए एक्सपर्ट।

म्यूचुअल फंड बाजार में नवंबर का महीना काफी उथल-पुथल भरा रहा। एम्फी (AMFI) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों पर मॉर्निंगस्टार इंडिया ने अपनी रिपोर्ट जारी की है, जो बताती है कि निवेशकों ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। सबसे बड़ी खबर डेट फंड्स से जुड़ी है, जहां अक्टूबर की भारी भरकम खरीदारी के बाद नवंबर में एकदम से बिकवाली हावी हो गई।

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डेट फंड्स से अचानक क्यों निकला पैसा?

नवंबर 2025 में डेट फंड्स में भारी गिरावट देखी गई और इसमें से कुल 25,693 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी हुई। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया की सीनियर एनालिस्ट नेहल मेश्राम बताती हैं कि यह आंकड़ा इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि ठीक एक महीने पहले अक्टूबर में इसी कैटेगरी में 1.60 लाख करोड़ रुपये का जबरदस्त निवेश आया था। एक्सपर्ट के मुताबिक, इस गिरावट की मुख्य वजह ओवरनाइट और लिक्विड फंड्स हैं। संस्थागत निवेशकों और कंपनियों ने तिमाही के बीच में अपने भुगतानों और एडवांस टैक्स की जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए अपना सरप्लस पैसा वापस निकाल लिया। अकेले ओवरनाइट फंड्स से 37,624 करोड़ रुपये और लिक्विड फंड्स से 14,051 करोड़ रुपये निकाले गए।

शॉर्ट टर्म फंड्स पर भरोसा कायम

भले ही कुल मिलाकर डेट फंड्स से पैसा निकला हो, लेकिन कुछ खास कैटेगरी में निवेशकों का भरोसा अभी भी बना हुआ है। नेहल ने बताया कि अल्ट्रा-शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स में 8,361 करोड़ रुपये और लो-ड्यूरेशन फंड्स में 4,981 करोड़ रुपये का निवेश आया है। इसकी वजह यह है कि इन फंड्स में रिस्क कम है और छोटी अवधि में अच्छा रिटर्न मिल रहा है। इसके अलावा मनी मार्केट फंड्स में भी 11,104 करोड़ रुपये आए, जो दिखाता है कि निवेशक अभी भी हाई क्वालिटी और कम अवधि वाले विकल्पों को पसंद कर रहे हैं। कॉर्पोरेट बॉन्ड फंड्स में भी 1,525 करोड़ रुपये का निवेश आया, जो सुरक्षित निवेश की चाहत को दर्शाता है। हालांकि, क्रेडिट रिस्क फंड्स और लंबी अवधि वाले गिल्ट फंड्स से निवेशकों ने दूरी बनाए रखी क्योंकि ब्याज दरों में कटौती को लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है।

गोल्ड ईटीएफ में निवेश जारी, पर रफ्तार धीमी

दूसरी तरफ सोने की बात करें तो गोल्ड ईटीएफ में लगातार सातवें महीने निवेश आया है। नवंबर में इसमें 3,741 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। हालांकि, नेहल मेश्राम का कहना है कि सितंबर और अक्टूबर के मुकाबले निवेश की यह रफ्तार थोड़ी कम हुई है। इसकी एक वजह यह रही कि अमेरिकी डॉलर मजबूत होने से वैश्विक बाजार में सोने की कीमतों में थोड़ी नरमी आई थी। इसके बावजूद, भारतीय निवेशकों ने गोल्ड ईटीएफ में पैसा लगाना जारी रखा।

गोल्ड ईटीएफ में पैसा आने की बड़ी वजह यह है कि लोग अब डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए आसानी से और पारदर्शी तरीके से सोना खरीद पा रहे हैं। यह उनके पोर्टफोलियो को सुरक्षित रखने का काम करता है।

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लेखकों के बारे में

विकास तिवारी
Vikash Tiwary is a finance journalist with 6+ years of newsroom experience. He is currently growing Upstox Hindi, crafting data-driven stories on stocks, personal finance, mutual funds, and global markets, while exploring how AI can simplify finance. His work spans Zee Business, TV9 Bharatvarsh, ABP News, India TV, and Inshorts. He also holds NISM certification.

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