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  1. 8th Pay Commission: 8वें वेतन आयोग में कितनी बढ़ सकती है सैलरी, अभी तक सात वेतन आयोग में हुआ है क्या कुछ

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8th Pay Commission: 8वें वेतन आयोग में कितनी बढ़ सकती है सैलरी, अभी तक सात वेतन आयोग में हुआ है क्या कुछ

Upstox

3 min read | अपडेटेड March 11, 2025, 11:39 IST

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सारांश

8th Pay Commission: 8वां वेतन आयोग की सिफारिशें कब सामने आएंगी और इसे कब लागू किया जाएगा, इसको लेकर काफी चर्चा चल रही है। 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी मिलने के बाद उम्मीद की जा रही है कि 1 जनवरी 2026 से इसे लागू भी किया जाएगा। 8वें वेतन आयोग में बेसिक सैलरी में अच्छी खासी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।

8th Pay Commission: 8वें वेतन आयोग की घोषणा हो चुकी है और यह 1 जनवरी, 2026 से लागू हो सकता है।

8th Pay Commission: 8वें वेतन आयोग की घोषणा हो चुकी है और यह 1 जनवरी, 2026 से लागू हो सकता है।

8th Pay Commission यानी कि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने का इंतजार केंद्रीय कर्मचारी बेसब्री से कह रहे हैं। 1946 से लेकर अभी तक सात वेतन आयोग लागू हो चुके हैं और अगर बेसिक सैलरी की बात करें तो यह 55 रुपये प्रति महीन से लेकर मौजूदा समय में 18,000 रुपये प्रति महीने तक पहुंची है। फिटमेंट फैक्टर के हिसाब से वेतन आयोग अपनी सिफारिशें सरकार के सामने रखता है और फिर सरकार इसे लागू करने को लेकर आखिरी फैसला लेती है। अलग-अलग सैलरी पैनल ने समय-समय पर अलग-अलग आर्धिक कारकों को ध्यान में रखते हुए सैलरी और पेंशन बढ़ाने की सिफारिशें की हैं और इसे फिर सरकार ने लागू किया है। वेतन आयोग का जो सबसे अहम काम होता है वह यह कि मौजूदा महंगाई को देखते हुए सैलरी या पेंशन को इतना किया जाए, जिससे कर्मचारी या पेंशनभोक्ता अपने परिवार के साथ सम्मानजनक जीवन जी सके। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि 8वें वेतन आयोग के तहत, नए फिटमेंट फैक्टर के आधार पर केंद्र सरकार के कर्मचारियों की बेस सैलरी 18,000 रुपये प्रति महीने से बढ़कर 51,000 रुपये से अधिक हो सकती है। 8वें वेतन आयोग की घोषणा हो चुकी है और यह 1 जनवरी, 2026 से लागू हो सकता है। एक नजर डालते हैं कि कैसे पहले वेतन आयोग से लेकर सातवें वेतन आयोग तक चीजें किस तरह से बदली हैं-

1947 में पहले वेतन आयोग में कर्मचारियों की जीवनशैली बेहतर करने की कोशिश की गई थी और तब सैलरी 55 रुपये प्रति महीने फिक्स की गई थी। पे स्ट्रक्चर में एकरूपता लाने के लिए अधिकतम सैलरी और न्यूनतम सैलरी में 1:41 रेशियो रखा गया था।

1959 में दूसरे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू की गईं, तब प्रति महीने सैलरी 55 रुपये से 80 रुपये कर दी गई। इस दौरान फैमिली अलाउंस और रिटायरमेंट बेनेफिट्स भी दिए गए।

1973 में तीसरे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हुईं और तब न्यूनतम सैलरी 185 रुपये प्रति महीने कर दी गई। महंगाई से निपटने के लिए तब महंगाई भत्ता भी सैलरी में जोड़ा गया।

1986 में फिर चौथा वेतन आयोग आया, जहां सैलरी 750 रुपये प्रति महीने कर दी गई। इसमें सिफारिश की गई कि हाउसिंग और ट्रैवल अलाउंस सैलरी में बढ़ाया जाए।

1997 में 5वां वेतन आयोग आया, जहां सैलरी 2,250 रुपये प्रति महीने कर दी गई। 5वें वेतन आयोग की सिफारिशों में कहा गया कि 50% महंगाई भत्ता बेस सैलरी में मिला दिया जाए, जिससे फाइनेंशियल स्टेबिलिटी मिले।

2008 में छठा वेतन आयोग आया, जहां मिनिमम सैलरी 7000 रुपये प्रति महीने कर दी गई। पे बैंड और ग्रेड पे सिस्टम भी तक भी आया, जिससे सैलरी स्ट्रक्चर बेहतर हो।

2016 में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया गया। तब 18,000 रुपये प्रति महीने न्यूनतम सैलरी फिक्स की गई। पे बैंड और ग्रेड पे सिस्टम की जगह पे मैट्रिक्स लाया गया।

क्या कुछ हो सकता है आठवें वेतन आयोग में

सातवें वेतन आयोग के तहत, फिटमेंट फैक्टर 2.57 पर सेट किया गया था, जिसने मिनिमम बेस सैलरी को 7,000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये कर दिया गया था। फिटमेंट फैक्टर एक गुणक है जिसे संशोधित सैलरी मैट्रिक्स के तहत नई सैलरी की गणना करने के लिए मौजूदा बेस सैलरी पर लागू किया जाता है। आठवें वेतन आयोग के लिए उम्मीद की जा रही है कि फिटमेंट फैक्टर बढ़कर 2.86 हो जाएगा, जिससे संभावित रूप से न्यूनतम बेसिक सैलरी 51,480 रुपये हो सकती है, जो फिलहाल 18,000 रुपये से 186% अधिक है।

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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