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2 min read | अपडेटेड April 04, 2025, 07:36 IST
सारांश
US markets crash: नए टैरिफ से अमेरिका में मंदी की आशंका बढ़ गई है, जिसके चलते निवेशकों में घबराहट है। टैक्स में यह बढ़ोतरी 1968 के बाद सबसे बड़ी मानी जा रही है। इससे इस साल कीमतों मे 1.5 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। सबसे ज्यादा नुकसान उन शेयरों को हुआ है जो ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग पर निर्भर हैं।
Stock Market: यूरोपीय बाजारों में भी गिरावट देखी गई। यूके का FTSE 100 इंडेक्स 1.7% गिरकर 8,474 पर बंद हुआ।
S&P 500 इंडेक्स भी 4.84 फीसदी लुढ़क गया और 5,396.52 के स्तर पर बंद हुआ। इसके अलावा, Nasdaq Composite में करीब 6 फीसदी की कमजोरी आई और यह 16,550.60 पर आ गया।
नए टैरिफ से अमेरिका में मंदी की आशंका बढ़ गई है, जिसके चलते निवेशकों में घबराहट है। टैक्स में यह बढ़ोतरी 1968 के बाद सबसे बड़ी मानी जा रही है। इससे इस साल कीमतों मे 1.5 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। सबसे ज्यादा नुकसान उन शेयरों को हुआ है जो ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग पर निर्भर हैं जैसे कि Apple और Nike। ऑटो शेयरों में भी गिरावट आई क्योंकि अमेरिका द्वारा घोषित ऑटो टैरिफ भी लागू हो गए।
CNBC की रिपोर्ट के अनुसार स्मॉल कैप कंपनियों के शेयरों में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई, जिसमें Russell 2000 इंडेक्स 6.59 फीसदी तक टूट गया। यह गिरावट पिछले 5 वर्षों में सबसे खराब रही। यह 11 जून 2020 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट के करीब है, जब यह 7.58% गिरा था।
यूरोपीय बाजारों में भी गिरावट देखी गई। यूके का FTSE 100 इंडेक्स 1.7% गिरकर 8,474 पर बंद हुआ, जो 8 महीनों में सबसे बड़ी एक दिन की गिरावट थी। फ्रांस का CAC 40 3.4% गिरकर 7,598 पर और जर्मनी का DAX 3% गिरकर 21,700 पर पहुंच गया। Stoxx 600 भी 3.9% नीचे बंद हुआ।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने घोषणा की कि अमेरिका से आयातित वाहनों पर 25% टैरिफ लगाया जाएगा, यदि वे CUSMA (North American Free Trade Agreement) के नियमों का पालन नहीं करते हैं।
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