मार्केट न्यूज़
4 min read | अपडेटेड April 23, 2025, 06:58 IST
सारांश
High value of Gold: सोने की कीमतें भारतीय बाजारों में ₹1 लाख को छू रही हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जारी आर्थिक तनाव की स्थिति के चलते निवेशकों ने सोने में भरोसा जताना जारी रखा है। यहां समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर सोना इतना कीमती क्यों है कि जब दूसरे ऐसेट्स लड़खड़ाने लगते हैं तब भी इस बहुमूल्य धातु पर भरोसा कायम कैसे रहता है...
सोने की चमक से लेकर इसकी केमिकल प्रॉपर्टीज तक इसे बहुमूल्य बनाती हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ हों या रूस का यूक्रेन पर हमला करना, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जब बाजार के सामने अस्थिरता और अनिश्चितता के हालात पैदा होते हैं, तो निवेश फौरन रुख करते हैं सोने का। साल 2025 में तमाम ऐसी वजहों से मांग बढ़ने के चलते सोने के भाव 25% से ज्यादा बढ़ चुके हैं।
भारत का घरेलू बाजार भी इस असर से बचा नहीं है जहां सोना हर दिन ₹1 लाख के आंकड़े के करीब पहुंच रहा है। जीएसटी लगाकर देखा जाए तो असल में यह ₹1 लाख पार कर भी चुका है।
इस सबके बीच कोटक सिक्यॉरिटीज के मालिक उदय कोटक और आरपीजी ग्रुप के अध्यक्ष हर्ष गोयनका ने भारतीय महिलाओं के पास मौजूद सोने की पूंजी की ओर इशारा करते हुए उनके ‘साइलेंट पोर्टफोलियो’ की मिसाल दी है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के मुताबिक भारतीय महिलाओं के पास दुनिया के सोने का 11% हिस्सा मौजूद है। WGC इस बात को मानती है कि भारत में सोने की अहमियत वित्तीय होने के साथ-साथ सांस्कृतिक भी है जिसके चलते कीमतें बढ़ने के बावजूद इसकी मांग लगातार बनी हुई है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रहे सोने के ट्रेंड्स भारत में काफी हद तक शादियों और त्योहारों के मौसम से प्रभावित होते हैं। हालांकि, देखा गया है कि नए सोने की खरीद के विकल्प के तौर पर लोग पुराने जेवरों को बदलकर नई खरीददारी कर रहे हैं। बावजूद इसके इसकी मांग में ज्यादा गिरावट नहीं दर्ज की गई है।
भारत में सोने की सांस्कृतिक अहमियत होने के कारण यह बहुमूल्य धातु और ज्यादा कीमती हो जाती है। इसे दिवाली, अक्षय तृतीय जैसे मौकों पर खरीदना शुभ माना जाता है, वहीं शादी के दौरान मिला सोना महिलाओं का स्त्रीधन बनकर संकट के समय में एक भरोसेमंद पूंजी का काम करता है। इसलिए भारतीय महिलाओं के पास इसकी मौजूदगी बनी रहती है।
सिर्फ भारत ही नहीं, दुनियाभर के तमाम देशों में सोना बेहद अहम है। खासकर ऐसे जगहों पर जहां इसका खनन होता है, स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और व्यापार के लिए असंख्य मौके लाता है। इससे देशों में विदेशी निवेश तो आता ही है, सरकारों के पास टैक्स से आमदनी भी आती है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट बताती है कि जिन इलाकों में सोने की खदानों के लिए कंपनियां निवेश करती हैं, वहां बुनियादी ढांचे जैसे सड़क, पानी और बिजली जैसी सुविधाएं सोने के उत्पादन के लंबे वक्त बाद तक सहारा बनती हैं। कई कंपनियां अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के तहत ऐसे इलाकों में स्कूल, अस्पताल वगैरह भी बनवाती हैं।
सोने में इस भरोसे और निवेश के पीछे बड़ा कारण है इस धातु की प्रकृति। इसकी ऐसी क्वॉलिटीज जो इसे बाकी धातुओं से बेहतर बनाती हैं। सोने की कंडक्टिविटी और जल्दी खराब ना होने के गुण के कारण इसे बड़े स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक्स में इस्तेमाल किया जाता है।
यही नहीं, इसके नैनोपार्टिकल्स को कोविड-19 ऐंटिजेन और ऐंटीबॉडी टेस्ट्स जैसी रैपिड मेडिकल डायग्नॉस्टिक किट्स तक में इस्तेमाल किया गया है क्योंकि ये शरीर के सेल्स के साथ बेहतर तरीके से काम कर पाते हैं और इनसे नुकसान भी नहीं होता है। इसलिए इन्हें कैंसर के इलाज तक के लिए स्टडी किया जा रहा है।
इंडस्ट्री में शुद्ध सोने का इस्तेमाल तार बनाने के लिए किया जाता है। इसकी तार में ढलने की ताकत ऐसी होती है कि करीब 28 ग्राम शुद्ध सोने को 5 माइक्रॉन मोटे तार में 80 किमी तक लंबाई दी जा सकती है। खासकर अक्षय ऊर्जा के निर्माण के लिए जरूरी उपकरणों, जैसे विंड टर्बाइन या सोलर पैनल में इसका काफी इस्तेमाल होता है जो इसे भविष्य के लिए भी जरूरी बनाता है।
सोने की चमक से लेकर इसकी दुर्लभता और इसके खनन की जटिलता इसे और ज्यादा आकर्षक बनाती है। इसकी सुंदरता और लंबे वक्त तक बिना खराब हुए चलने की क्वॉलिटी एक बड़ी वजह है कि दुनियाभर से खनन किए गए सोने का 49% हिस्सा जेवर बनाने में जाता है, खासकर भारत और चीन जैसे देशों में।
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