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3 min read | अपडेटेड April 24, 2025, 11:11 IST
सारांश
Hindustan Unilever Q4 Results: HUL के रेवेन्यू में सालाना आधार पर 2 फीसदी की मामूली वृद्धि देखी गई है। शहरी मांग कमजोरी और ग्रामीण क्षेत्रों में धीमी रिकवरी के कारण HUL की ग्रोथ मार्च तिमाही में धीमी रही। HUL के शेयरों में नतीजों की बीच 1.46 फीसदी की बढ़त नजर आ रही है।
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Hindustan Unilever ने मार्च तिमाही में 2464 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है।
मार्च तिमाही में HUL का कंसोलिडेटेड रेवेन्यू पिछले साल की तुलना में 3.5 फीसदी बढ़कर 15,979 करोड़ रुपये हो गया। होम केयर सेगमेंट ने कंसोलिडेटेड रेवेन्यू में 5,815 करोड़ रुपये का योगदान दिया। कंपनी के नतीजे बाजार की उम्मीदों से कमजोर रहे।
स्टैंडअलोन बेसिस पर नेट प्रॉफिट 2,493 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की इसी तिमाही की तुलना में 3.6 फीसदी अधिक है। एचयूएल का स्टैंडअलोन रेवेन्यू 2.1 फीसदी बढ़कर 15,000 करोड़ रुपये हो गया।
ब्यूटी और निर्यात आधारित क्षेत्रों में स्थिर प्रदर्शन के कारण कंपनी को सपोर्ट मिला है। वहीं, फूड्स और पर्सनल केयर जैसी प्रमुख कैटेगरी को मार्जिन और मांग संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
शहरी मांग कमजोरी और ग्रामीण क्षेत्रों में धीमी रिकवरी के कारण HUL की ग्रोथ मार्च तिमाही में धीमी रही। HUL के शेयरों में नतीजों की बीच 1.46 फीसदी की बढ़त नजर आ रही है और यह स्टॉक BSE पर 2457.50 रुपये के भाव पर बंद हुआ है।
Hindustan Unilever ने डिविडेंड की घोषणा की है। कंपनी अपने शेयरधारकों को हर शेयर पर 24 रुपये का डिविडेंड जारी करेगी। इसके साथ ही, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए HUL का कुल डिविडेंड भुगतान 53 रुपये प्रति शेयर हो गया है, जिसमें 19 रुपये का अंतरिम डिविडेंड और 10 रुपये का स्पेशल डिविडेंड शामिल है।
पर्सनल केयर ने कीमतों के दबाव के बीच कम सिंगल डिजिट सेल्स ग्रोथ के साथ प्रॉफिट में 5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की। इस सेगमेंट में बॉडीवॉश ने डबल डिजिट ग्रोथ दर्ज की, जिससे इसकी बाजार में स्थिति मजबूत हुई। नॉन-हाइजीन प्रोडक्ट्स में हाई सिंगल डिजिट ग्रोथ देखी गई, जबकि स्किन क्लींजिंग ने कम सिंगल डिजिट ग्रोथ दर्ज की।
होम केयर सेगमेंट ने कंसोलिडेटेड रेवेन्यू में 5815 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जो कि पिछले साल की तुलना में 2 फीसदी अधिक है। प्रीमियम फैब्रिक वॉश और फैब्रिक कंडीशनर में "बेहतरीन प्रदर्शन" से मदद मिली। इसके लिक्विड पोर्टफोलियो ने भी बिक्री को बढ़ावा देने में मदद की।
पेय पदार्थों में चाय में कम सिंगल-डिजिट ग्रोथ देखी गई, जिसका कारण प्राइसिंग था, जबकि कॉफी ने डबल डिजिट ग्रोथ जारी रखी, जिससे गति बनी रही। कंपनी ने चाय में वैल्यू और वॉल्यूम में नेतृत्व बनाए रखा। फूड बिजनेस का कंसोलिडेटेड प्रॉफिट 15 फीसदी घटकर 627 करोड़ रुपये रह गया।
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