return to news
  1. विदेशी निवेशकों ने फिर बाजार से निकाला ₹3,765 करोड़, समझें एक महीने की तेजी के बाद क्यों आई बिकवाली?

मार्केट न्यूज़

विदेशी निवेशकों ने फिर बाजार से निकाला ₹3,765 करोड़, समझें एक महीने की तेजी के बाद क्यों आई बिकवाली?

Upstox

3 min read | अपडेटेड November 30, 2025, 15:31 IST

Twitter Page
Linkedin Page
Whatsapp Page

सारांश

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) नवंबर में फिर से बिकवाल बन गए हैं। अक्टूबर में खरीदारी के बाद उन्होंने भारतीय शेयर बाजार से 3,765 करोड़ रुपये निकाले हैं। वैश्विक स्तर पर जोखिम कम होने और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में कटौती को लेकर अनिश्चितता के चलते निवेशकों ने सतर्क रुख अपनाया।

foreign-portfolio-investors-fpi

एफपीआई की बिकवाली से बाजार पर दबाव बढ़ सकता है।

भारतीय शेयर बाजार के लिए विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की बिकवाली का सिलसिला फिर शुरू हो गया है। एक महीने तक बाजार में पैसा लगाने के बाद विदेशी निवेशक नवंबर में फिर बिकवाल बन गए हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने नवंबर के महीने में भारतीय शेयरों से शुद्ध रूप से 3,765 करोड़ रुपये की बड़ी निकासी की है। यह बिकवाली ऐसे समय में हुई है जब वैश्विक स्तर पर जोखिम लेने की क्षमता में कमी आई है और दुनिया भर के बाजारों में अनिश्चितता का माहौल है। इस बिकवाली का असर भारतीय बाजारों की धारणा पर पड़ सकता है।

Open FREE Demat Account within minutes!
Join now

अक्टूबर में दिखी थी खरीदारी

इससे पहले अक्टूबर के महीने में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार में 14,610 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जिससे बाजार को बड़ी राहत मिली थी। लेकिन नवंबर में यह सकारात्मक रुख टूट गया। अगर साल 2025 के शुरुआती महीनों के आंकड़ों पर नजर डालें तो विदेशी निवेशकों ने सितंबर में 23,885 करोड़ रुपये, अगस्त में 34,990 करोड़ रुपये और जुलाई में 17,700 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी। यह बताता है कि इस पूरे साल एफपीआई की धारणा ज्यादातर समय बिकवाली की ही रही है।

एफपीआई के बिकवाली के कारण

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के प्रमुख रिसर्चर हिमांशु श्रीवास्तव ने बताया कि वैश्विक और घरेलू कारकों की मिली-जुली भूमिका के कारण नवंबर में बिकवाली हुई है। वैश्विक मोर्चे पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दर में कटौती के रुख को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है। इसके अलावा डॉलर में मजबूती, उभरते बाजारों में जोखिम लेने की क्षमता कमजोर होने से विदेशी निवेशकों ने सतर्क रुख अपनाया है। भू-राजनीतिक तनाव और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव भी एफपीआई की धारणा को लगातार प्रभावित कर रहा है।

डेट मार्केट का हाल क्या है?

साल 2025 में अब तक, एफपीआई ने भारतीय शेयरों से 1.43 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा निकाले हैं। हालांकि, इस बीच बॉन्ड बाजार में एफपीआई का निवेश सकारात्मक रहा है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, बॉन्ड बाजार में एफपीआई ने सामान्य सीमा के तहत 8,114 करोड़ रुपये का निवेश किया है। हालांकि, इसी अवधि के दौरान उन्होंने स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग यानी वीआरआर (VRR) रूट से 5,053 करोड़ रुपये की निकासी भी की है।

क्या आगे भी जारी रहेगी बिकवाली?

जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार का मानना है कि एफपीआई प्रवाह में रुख में पूरी तरह से बदलाव का अभी कोई साफ सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि एफपीआई कुछ दिन खरीदार थे और कुछ दिन बिकवाल। यह एक संकेत है कि हालात बदलने पर उनके प्रवाह का रुख बदल सकता है। यह अस्थिरता बनी रह सकती है और निवेशकों को सतर्कता के साथ निवेश करना चाहिए।

SIP
टाइमिंग पर भारी पड़ती है निरंतरता
promotion image

लेखकों के बारे में

Upstox
Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

अगला लेख