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शेयर बाजारों में डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ हाइक के बाद भारी बिकवाली हो रही है। इस बीच यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या 1987 जैसा भयावह ‘ब्लैक मंडे’ फिर से दरवाजे पर दस्तक दे चुका है?
19 अक्टूबर 1987 को शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट आई थी। इस दिन को 'ब्लैक मंडे' कहा जाता है। इसके पहले भी बाजारों में मंदी के संकेत दिखने लगे थे।
इस दिन Dow Jones इंडेक्स में करीब 22.6% की गिरावट दर्ज की गई थी। यह अब तक की सबसे बड़ी एक-दिन की गिरावट थी। इस दिन S&P 30% गिर गया था।
यह गिरावट सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रही, बल्कि ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्रिटेन और भारत जैसे देशों पर भी असर पड़ा।
इस क्रैश की मुख्य वजहें थीं – शेयरों के ज्यादा दाम, ट्रेडिंग में ऑटोमेटिक सिस्टम, और निवेशकों का डर। कंप्यूटर प्रोग्राम के जरिए बड़े पैमाने पर शेयर बेचे गए।
इस घटना ने निवेशकों के आत्मविश्वास को हिला दिया और बाजार में लंबे समय तक अस्थिरता रही।
वित्तीय विश्लेषक जिम क्रैमर ने चेतावनी दी है कि बाजार ब्लैक मंडे 2.0 की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप के टैरिफ और ग्लोबल टेंशन की वजह से यह स्थिति बन रही है।
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