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2 min read | अपडेटेड March 26, 2025, 13:27 IST
सारांश
Battery Stocks: केंद्र सरकार ने लिथियम-आयन बैटरियों को 'कोर ऑटो कंपोनेंट' की कैटेगरी में शामिल किया है। ये बैटरियां इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड गाड़ियों में इस्तेमाल होती हैं। इसके साथ ही, सेफ हार्बर सीमा को 200 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 300 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
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Battery Stocks: केंद्र सरकार ने लिथियम-आयन बैटरियों को 'कोर ऑटो कंपोनेंट' की कैटेगरी में शामिल किया है।
केंद्र सरकार ने लिथियम-आयन बैटरियों को 'कोर ऑटो कंपोनेंट' की कैटेगरी में शामिल किया है। ये बैटरियां इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड गाड़ियों में इस्तेमाल होती हैं। इसके साथ ही, सेफ हार्बर सीमा को 200 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 300 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
इस फैसले से बैटरी निर्माताओं को फायदा मिलेगा, क्योंकि इससे कानूनी जटिलताएं कम होंगी, निवेश बढ़ेगा और भारत के इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) सेक्टर को मजबूती मिलेगी। अब जो कंपनियां इन बैटरियों का आयात करेंगी, वे अपने घोषित ट्रांसफर प्राइस को बिना ज्यादा जांच के स्वीकार करा सकेंगी।
जब कंपनियां अलग-अलग देशों के साथ व्यापार करती हैं, तो वे अपनी सब्सिडियरी कंपनियों के बीच माल खरीद और बेच सकती हैं। जिस कीमत पर ये लेन-देन होते हैं उसे ट्रांसफर प्राइस कहा जाता है। कर अधिकारी इन कीमतों पर बारीकी से नज़र रखते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कंपनियां अपने मुनाफे को कम टैक्स वाले देशों में शिफ्ट न करें।
CBDT ने सेफ हार्बर नियमों का विस्तार किया है। इसका मतलब है कि जब तक कंपनियां तय सीमा के भीतर ट्रांसफर प्राइस घोषित करती हैं, कर अधिकारी बिना किसी सवाल के उन्हें स्वीकार करेंगे। इससे नियमों की जटिलता कम होगी और ईवी बैटरी कंपोनेंट्स के आयात की प्रक्रिया आसान बनेगी।
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