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3 min read | अपडेटेड May 12, 2025, 09:15 IST
सारांश
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जिनेवा में चीनी अधिकारियों के साथ हुई बहुत अच्छी बैठक की तारीफ की और दावा किया कि अमेरिका-चीन संबंध टोटल रिसेट की ओर बढ़ रहे हैं, और इस दिशा में तेजी से सुधार हो रहा है।
अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार्ता जारी
अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार्ता जारी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जिनेवा में चीनी अधिकारियों के साथ हुई बहुत अच्छी बैठक की तारीफ की और दावा किया कि अमेरिका-चीन संबंध टोटल रिसेट की ओर बढ़ रहे हैं, और इस दिशा में तेजी से सुधार हो रहा है। ट्रंप ने जब से दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति की कुर्सी संभाली है, तब से उनके टैरिफ को लेकर लिए गए फैसलों से पूरी दुनिया में हलचल सी मच गई। चीन और अमेरिका के बीच तो टैरिफ वॉर तक छिड़ने का खतरा नजर आने लगा था। हालांकि ऐसा लग रहा है कि इन दोनों देशों के बीच जल्द ही टैरिफ को लेकर सुलह हो सकती है।
ट्रुछ सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर ट्रंप ने लिखा, ‘हम चीन और अमेरिका दोनों की भलाई के लिए चीन को अमेरिकी ट्रेड के लिए खोलना चाहते हैं। बहुत बड़ी प्रगति हुई है!!!’ 10 घंटे की बैठक में अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट, अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर और चीनी उप प्रधानमंत्री हे लाइफेंग ने हिस्सा लिया। ग्लोबल अर्थव्यवस्था को खतरे में डालने वाले ट्रेड वॉर को शांत करने के उद्देश्य से आयोजित पहली ऐसी बैठक को गोपनीय रखा गया। दोनों पक्षों ने बाहर निकलते समय पत्रकारों से कोई टिप्पणी नहीं की। प्रतिनिधिमंडल रविवार को वार्ता फिर से शुरू करने का प्लान बना रहा है। हालांकि AP के मुताबिक, कोई बड़ी सफलता मिलना असंभव सा लग रहा है, लेकिन आशा है कि दोनों देश एक-दूसरे के सामान पर लगाए गए भारी टैरिफ को कम कर सकते हैं, जिससे ग्लोबल वित्तीय बाजारों और 660 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अमेरिकी-चीन ट्रेड रिलेशन्स से जुड़े व्यवसायों को राहत मिल सकती है।
पिछले महीने तनाव तब और बढ़ गया जब ट्रंप ने चीनी वस्तुओं पर अमेरिकी टैरिफ को बढ़ाकर 145% कर दिया, जिसमें फेंटेनाइल फ्लो पर बीजिंग पर दबाव डालने के लिए 20% टैरिफ भी शामिल था। चीन ने अमेरिकी आयात पर 125% टैरिफ लगाकर जवाबी कार्रवाई की, जिससे आपसी ट्रेड बहिष्कार का खतरा पैदा हो गया। इन टैरिफ ने, ट्रंप द्वारा अन्य देशों पर हाल ही में लगाए गए टैरिफ के साथ, सप्लाई सीरीज को बाधित किया है और ग्लोबल मंदी की आशंकाओं को जन्म दिया है। अमेरिका-चीन के साथ अपने 295 बिलियन डॉलर के व्यापार घाटे को कम करना चाहता है और बीजिंग को अपने व्यापारिक आर्थिक मॉडल को त्यागने के लिए मजबूर करना चाहता है।
वॉशिंगटन यह भी चाहता है कि चीन ग्लोबल खपत को बढ़ावा दे, एक ऐसा बदलाव जिसके लिए संवेदनशील घरेलू सुधारों की जरूरत है। बीजिंग कम अमेरिकी टैरिफ, खरीद पर स्पष्ट अपेक्षाएं और ग्लोबल लेवल पर समान व्यवहार की मांग करता है। चीन की शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने अमेरिका टैरिफ वृद्धि को ग्लोबल अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने वाला ‘लापरवाह दुरुपयोग’ करार दिया, लेकिन वार्ता को वृद्धि से बचने के लिए पॉजिटिव और जरूरी कदम कहा। इसमें कहा गया है, ‘अपने विकास हितों की रक्षा के लिए चीन का दृढ़ संकल्प अडिग है।’
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