return to news
  1. Sabka Bima Sabki Raksha Bill 2025 लोकसभा में पेश, समझिए FDI सीमा 100% तक बढ़ने से क्या होगा

बिजनेस न्यूज़

Sabka Bima Sabki Raksha Bill 2025 लोकसभा में पेश, समझिए FDI सीमा 100% तक बढ़ने से क्या होगा

Upstox

3 min read | अपडेटेड December 16, 2025, 14:30 IST

Twitter Page
Linkedin Page
Whatsapp Page

सारांश

Sabka Bima Sabki Raksha Bill 2025: FDI सीमा बढ़ने से अब बीमा कंपनियों में पूरी विदेशी हिस्सेदारी संभव होगी। सरकार को उम्मीद है कि इससे लंबी अवधि का विदेशी पूंजी निवेश आएगा और दुनिया की बड़ी बीमा कंपनियां भारत में एंट्री करेंगी।

Sabka Bima Sabki Raksha

Sabka Bima Sabki Raksha Bill: इस बिल को पिछले हफ्ते केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी थी।

Sabka Bima Sabki Raksha Bill 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज मंगलवार को लोकसभा में सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानून संशोधन) बिल 2025 पेश किया। इस बिल को सरकार के “Insurance for All by 2047” लक्ष्य की दिशा में एक बड़ा कदम बताया जा रहा है। इस बिल को पिछले हफ्ते केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी थी। इसका सबसे बड़ा प्रस्ताव बीमा सेक्टर में FDI की सीमा 74% से बढ़ाकर 100% करना है। यह बिल इंश्योरेंस एक्ट, 1938, LIC एक्ट, 1956 और IRDAI एक्ट, 1999 में संशोधन करता है।
Open FREE Demat Account within minutes!
Join now

FDI सीमा बढ़ने से क्या होगा?

FDI सीमा बढ़ने से अब बीमा कंपनियों में पूरी विदेशी हिस्सेदारी संभव होगी। सरकार को उम्मीद है कि इससे लंबी अवधि का विदेशी पूंजी निवेश आएगा और दुनिया की बड़ी बीमा कंपनियां भारत में एंट्री करेंगी। फिलहाल भारत में करीब 70 बीमा कंपनियां हैं, जबकि वैश्विक स्तर पर इनकी संख्या लगभग 10000 है।

हालांकि, बिल में यह शर्त भी रखी गई है कि अगर कोई बीमा कंपनी पूरी तरह विदेशी स्वामित्व वाली भी हो, तो उसके टॉप मैनेजमेंट में से कम से कम एक अधिकारी (चेयरपर्सन/MD/CEO) भारतीय नागरिक होना जरूरी होगा। इसके अलावा, यह बिल नॉन-इंश्योरेंस कंपनी और इंश्योरेंस कंपनी के मर्जर का रास्ता भी खोलता है।

सरकार का तर्क है कि ज्यादा विदेशी भागीदारी से भारत में बीमा की पहुंच बढ़ेगी, नई टेक्नोलॉजी, बेहतर रिस्क मैनेजमेंट और अंडरराइटिंग एक्सपर्टीज आएगी। अब तक बीमा सेक्टर में करीब ₹82,000 करोड़ का FDI आ चुका है।

बिल में किए गए हैं ये बदलाव

बिल में कुछ और अहम बदलाव भी शामिल हैं। विदेशी री-इंश्योरेंस कंपनियों के लिए न्यूनतम नेट ओन्ड फंड की शर्त ₹5000 करोड़ से घटाकर ₹1000 करोड़ करने का प्रस्ताव है, ताकि और ग्लोबल री-इंश्योरर्स भारत आएं और सरकारी General Insurance Corporation of India पर निर्भरता कम हो।

IRDAI को मिले अधिक अधिकार

रेगुलेटर IRDAI को भी ज्यादा सख्त अधिकार दिए जाएंगे। इसमें गलत तरीके से कमाई गई रकम की वसूली का अधिकार शामिल है, जैसा अधिकार SEBI के पास होता है। साथ ही, इंश्योरेंस इंटरमीडियरीज के लिए वन-टाइम रजिस्ट्रेशन, इक्विटी ट्रांसफर की मंजूरी की सीमा 1% से बढ़ाकर 5%, और पेनल्टी से जुड़े नियमों को स्पष्ट करने का प्रस्ताव है।

LIC के लिए भी राहत

सरकारी बीमा कंपनी Life Insurance Corporation of India को भी राहत दी गई है। अब LIC को नए जोनल ऑफिस खोलने के लिए सरकार की पूर्व मंजूरी नहीं लेनी होगी और वह विदेश में अपने ऑपरेशंस को वहां के स्थानीय कानूनों के मुताबिक री-स्ट्रक्चर कर सकेगी। इसके अलावा, पॉलिसीधारकों के हितों की सुरक्षा के लिए एक नया फंड बनाने का भी प्रावधान है।

बिल में ये सुधार शामिल नहीं

इस बिल में कुछ अहम सुधार शामिल नहीं किए गए हैं। जैसे कॉम्पोजिट लाइसेंस, जिससे एक ही कंपनी लाइफ, हेल्थ और जनरल इंश्योरेंस साथ में कर पाती। इसके अलावा, नई बीमा कंपनियों के लिए न्यूनतम पूंजी की शर्त कम करना, एजेंटों को एक से ज्यादा कंपनियों की पॉलिसी बेचने की इजाजत, और बड़ी कंपनियों को कैप्टिव इंश्योरेंस यूनिट बनाने की अनुमति जैसे प्रस्ताव भी इसमें नहीं हैं।

मार्केट में हलचल?
स्मार्ट टूल्स के साथ आगे बढ़ें
promotion image

लेखकों के बारे में

Upstox
Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

अगला लेख