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2 min read | अपडेटेड April 15, 2025, 16:40 IST
सारांश
Retail inflation: कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) बेस्ड इनफ्लेशन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 4 फीसदी के लक्ष्य से नीचे चला गया है। सरकार ने RBI को खुदरा मुद्रास्फीति को दो फीसदी की घट-बढ़ के साथ चार फीसदी के भीतर रखने की जिम्मेदारी दी है।
Retail inflation: मार्च महीने में खुदरा महंगाई मामूली रूप से घटकर 3.34 फीसदी रह गई।
खुदरा महंगाई में कमी की वजह सब्जियों और प्रोटीन वाले उत्पादों की कीमतों में गिरावट है। खाद्य मुद्रास्फीति मार्च में 2.69 प्रतिशत रही, जबकि फरवरी में यह 3.75 फीसदी और मार्च, 2024 में 8.52 फीसदी थी।
RBI ने पिछले सप्ताह रेपो रेट को 0.25 फीसदी घटाकर 6 फीसदी कर दिया है। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए खुदरा महंगाई के 4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। इसमें पहली तिमाही में इसके 3.6 प्रतिशत, दूसरी तिमाही 3.9 प्रतिशत, तीसरी तिमाही 3.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) बेस्ड इनफ्लेशन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 4 फीसदी के लक्ष्य से नीचे चला गया है। सरकार ने RBI को खुदरा मुद्रास्फीति को दो फीसदी की घट-बढ़ के साथ चार फीसदी के भीतर रखने की जिम्मेदारी दी है। आरबीआई अपनी मौद्रिक दरों का फैसला करते समय खुदरा मुद्रास्फीति पर विशेष ध्यान देता है।
देश की थोक महंगाई दर में गिरावट आई है। मार्च महीने में यह घटकर 2.05 फीसदी पर आ गई, जबकि पिछले महीने यह 2.38 फीसदी थी। इसके पहले फरवरी में थोक महंगाई दर दो महीने के उच्चतम स्तर 2.38 फीसदी पर पहुंच गई थी।
थोक मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य मुद्रास्फीति फरवरी के 3.38 फीसदी से घटकर मार्च में 1.57 फीसदी रह गई। सब्जियों की कीमतों में भारी गिरावट इसकी मुख्य वजह रही। हालांकि, विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति मार्च में बढ़कर 3.07 प्रतिशत हो गई, जबकि फरवरी में यह 2.86 प्रतिशत थी। ईंधन और बिजली में भी वृद्धि देखी गई और मार्च में यह 0.20 प्रतिशत रही।
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