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Renewable Energy Sector: रेकॉर्डतोड़ स्पीड से आगे बढ़ रहा है भारत का अक्षय ऊर्जा सेक्टर

Shatakshi Asthana

3 min read | अपडेटेड October 26, 2024, 13:26 IST

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सारांश

साल 2070 तक नेट जीरो बनने का भारत का लक्ष्य समय से पूरा हो सकता है। अक्षय ऊर्जा सेक्टर में हो रही ग्रोथ इसी बात की ओर इशारा कर रही है। सौर और पवन ऊर्जा के दम पर हम तेजी से अपनी गैर- जीवाश्म ईंधन से पैदा होने वाली पावर कपैसिटी को बढ़ा रहे हैं।

रेकॉर्डतोड़ स्पीड से आगे बढ़ रहा है भारत का अक्षय ऊर्जा सेक्टर

रेकॉर्डतोड़ स्पीड से आगे बढ़ रहा है भारत का अक्षय ऊर्जा सेक्टर

ग्लोबल वॉर्मिंग की स्पीड को कम करने के लिए किए गए पेरिस और ग्लासगो समझौते के तहत भारत ने कई लक्ष्य तय किए थे। इनमें से एक था साल 2030 तक गैर- जीवाश्म ईंधन से पैदा होने वाली ऊर्जा को 500GW तक पहुंचाना। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने अभी तक अक्षय ऊर्जा से पैदा होने वाली पावर कपैसिटी को 43.5% पर पहुंचा दिया है। इसके साथ ही हम अपने लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ते हुए नजर आ रहे हैं।

रूबिक्स डेटा साइंसेज की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक देश में अक्षय ऊर्जा कुल बिजली उत्पादन का 20.9% पैदा करती है। पिछले 4 साल में 13% CAGR के साथ 23-2024 में इंस्टॉल्ड कपैसिटी 190GW पर पहुंच गई है। इसमें सबसे ज्यादा 57% योगदान सौर ऊर्जा का है। राज्यों की बात करें तो 5 राज्यों का इसमें 79% हिस्सा है, जिसमें सबसे आगे राजस्थान, फिर गुजरात, तमिल नाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश हैं। दुनियाभर में आगे

रिपोर्ट के मुताबिक अक्षय ऊर्जा अपनाने के मामले में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। सरकार ने इसके लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं बनाई हैं और उनके क्रियान्वन के लिए ठोस कदम उठाए हैं। आम लोगों के बीच भी धीरे- धीरे इसकी जरूरत और समझ बढ़ने से मांग में इजाफा हो रहा है। बड़ा लेबर मार्केट होने के कारण कुशल वर्कफोर्स भी मौजूद है। इन वजहों से हम अक्षय ऊर्जा की इंस्टॉल्ड कपैसिटी के मामले में दुनिया में चौथे स्थान पर, पवन ऊर्जा में चौथे और सौर ऊर्जा में पांचवे नंबर पर हैं।

अभी सामने हैं चुनौतियां अक्षय ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ाने के पहले कई चुनौतियां मौजूद हैं। प्रोजेक्ट्स के लिए जमीन अधिग्रहण में लिखा- पढ़ी और मालिकाना हक को लेकर विवाद के कारण लंबा समय लगता है। पर्यावरण संबंधी नियमों का उल्लंघन ना हो और आसपास रहने वाले लोगों के अधिकारों को नुकसान न पहुंचे, इस बात का भी ध्यान रखना होता है। वहीं, उत्पादन की चेन में भी कच्चे माल के लिए चीन से आयात पर निर्भरता बनी हुई है। सूरज की रोशन और हवा जैसे ऊर्जा के स्रोत भी हर वक्त नहीं रहते जिससे सप्लाई सुनश्चित कर पाना मुश्किल होता है।

क्या हैं लक्ष्य? भारत साल 2030 के पहले 50% पावर अक्षय ऊर्जा के जरिए पैदा करना चाहता है। साल 2070 तक हमारा लक्ष्य नेट जीरो होने का है। साल 2030 तक हमारी कोशिश होगी कि गैर- जीवाश्म ईंधन के जरिए 500 GW की कुल क्षमता में से 485 GW अक्षय ऊर्जा के जरिए पैदा हो। साल 2014 में अक्षय ऊर्जा की क्षमता 76 GW थी जो मार्च 2024 तक 190 GW हो गई थी। अकेले सौर ऊर्जा की इंस्टॉल्ड कपैसिटी 2020 से 2024 के बीच दोगुनी हो गई है।

सरकारी नीतियों का असर रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024-25 के बजट में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of New and Renewable Energy) को 19,110 करोड़ रुपये अलॉट हुए थे जो कि 23-24 के बजट में दिए गए 7848 करोड़ रुपये से कहीं ज्यादा था। वहीं, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, पीएलआई योजना, सोलर पार्क जैसे प्रोग्राम्स का फायदा भी सेक्टर को हुआ है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में मौजूदा चुनौतियों को सुलझाकर ग्रीन ग्रोथ को पुश दिया जा सकेगा।

लेखकों के बारे में

Shatakshi Asthana
Shatakshi Asthana बिजनेस, एन्वायरन्मेंट और साइंस जर्नलिस्ट हैं। इंटरनैशनल अफेयर्स में भी रुचि रखती हैं। मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से लाइफ साइंसेज और दिल्ली के IIMC से पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद अब वह जिंदगी के हर पहलू को इन्हीं नजरियों से देखती हैं।

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