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5 min read | अपडेटेड December 05, 2025, 11:14 IST
सारांश
RBI MPC: यह लगातार दो पॉलिसी में स्थिर रुख बनाए रखने के बाद पहली कटौती है। आरबीआई इससे पहले फरवरी से जून के बीच रेपो रेट को 6.5% से 5.5% तक यानी 100 bps घटा चुका है। इसके बाद अगस्त और अक्टूबर में बैंक ने कोई बदलाव नहीं किया था। अब दिसंबर की कटौती के साथ यह घटकर 5.25 फीसदी पर आ गया।

RBI MPC: मल्होत्रा ने अपनी स्पीच में कहा कि भारत की इकनॉमी में शानदार ग्रोथ दिख रही है।
मल्होत्रा ने कहा कि हम नए साल में उम्मीद और जोश के साथ आ रहे हैं ताकि इकॉनमी में ग्रोथ को और तेज किया जा सके। बता दें कि यह लगातार दो पॉलिसी में स्थिर रुख बनाए रखने के बाद पहली कटौती है। आरबीआई इससे पहले फरवरी से जून के बीच रेपो रेट को 6.5% से 5.5% तक यानी 100 bps घटा चुका है। इसके बाद अगस्त और अक्टूबर में बैंक ने कोई बदलाव नहीं किया था। अब दिसंबर की कटौती के साथ यह घटकर 5.25 फीसदी पर आ गया। यहां हम RBI गवर्नर की पूरी स्पीच को 10 प्वाइंट्स में समझेंगे।
RBI ने बैंकों में नकदी बढ़ाने के लिए दो बड़े कदम उठाए हैं। दिसंबर महीने में RBI ₹1 लाख करोड़ के सरकारी बॉन्ड की OMO यानी ओपन मार्केट ऑपरेशन के तहत खरीद करेगा। इसके साथ ही $5 बिलियन का तीन साल का USD/INR स्वैप भी किया जाएगा। इन दोनों कदमों से बैंकिंग सिस्टम में तरलता यानी पैसा बढ़ेगा, जिससे बैंकों के लिए सस्ते लोन देना आसान होगा और इससे कारोबार और खपत को सपोर्ट मिलेगा।
महंगाई को लेकर RBI ने राहत भरा संकेत दिया है। कोर महंगाई, जो लगातार बढ़ रही थी, अब दूसरी तिमाही में कम हुई है और आने वाले समय में इसके नियंत्रण में रहने की उम्मीद है। सोना और चांदी जैसी कीमती धातुओं की कीमतों में नरमी आने से भी महंगाई का दबाव और कम हुआ है।
RBI ने पूरे वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) के लिए CPI महंगाई का अनुमान घटाकर 2.0% कर दिया है, जो पहले 2.6% था। इसके अलावा आने वाली तिमाहियों के लिए भी महंगाई के अनुमानों में कटौती की गई है, जिससे साफ है कि महंगाई अब RBI के टारगेट के दायरे में बनी रहेगी।
| अवधि | वर्तमान अनुमान | पूर्व अनुमान |
|---|---|---|
| FY26 | 2.0% | 2.6% |
| Q3FY26 | 0.6% | 1.8% |
| Q4FY26 | 2.9% | 4.0% |
| Q1FY27 | 3.9% | 4.5% |
| Q2FY27 | 4.0% | -- |
| अवधि | वर्तमान अनुमान | पूर्व अनुमान |
|---|---|---|
| FY26 | 7.3% | 6.8% |
| Q3FY26 | 7.0% | 6.4% |
| Q4FY26 | 6.5% | 6.2% |
| Q1FY27 | 6.7% | 6.4% |
| Q2FY27 | 6.8% | -- |
RBI ने यह भी साफ किया है कि उसकी मौद्रिक नीति का रुख अभी ‘न्यूट्रल’ बना हुआ है। इसका मतलब यह है कि आगे अगर जरूरत पड़ी तो वह ब्याज दरों में और कटौती कर सकता है या हालात बिगड़ने पर दरें बढ़ाने का फैसला भी लिया जा सकता है। यानी आने वाले फैसले पूरी तरह देश-विदेश की आर्थिक स्थिति पर निर्भर करेंगे।
रेपो रेट में कटौती के इस फैसले से घर खरीदने वालों को कुछ राहत मिलने वाली है। इस कदम से EMI और इंटरेस्ट रेट कम होंगे। RBI MPC ने अब तक इस कैलेंडर ईयर में रेपो रेट में 125 bps की कटौती की है। रेट कटिंग का सिलसिला फरवरी में शुरू हुआ।
अगर आप बैंक में फिक्स्ज डिपॉजिट करते हैं तो आपके लिए भी यह रेट कट बेहद अहम है। इस फैसले के बाद बैंक अपने फिक्स्ड डिपॉजिट रेट कम कर सकते हैं, जिसका असर उन इन्वेस्टर्स और सीनियर सिटिजन्स पर पड़ेगा जो रिस्क नहीं लेना चाहते और जो FD के स्टेबल रिटर्न पर निर्भर रहते हैं। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा द्वारा घोषित रेट कटौती से फिक्स्ड डिपॉजिट रेट्स में तुरंत कमी नहीं आएगी, लेकिन बैंक डिपॉजिट रेट्स में कटौती कर सकते हैं, खासकर शॉर्ट और मीडियम-टर्म टेन्योर के लिए।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) 28 नवंबर तक घटकर 686 अरब डॉलर रह गया है। इससे एक हफ्ते पहले यह 688.1 अरब डॉलर था। यानी एक हफ्ते में इसमें करीब 2.1 अरब डॉलर की हल्की गिरावट आई है। यह जानकारी RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को दी।
भारत के चालू खाते के घाटे (Current Account Deficit – CAD) में भी सुधार देखने को मिला है। यह Q2 FY25 में GDP का 2.2% से घटकर 1.3% पर आ गया है। इसका मतलब है कि भारत का बाहर के देशों के साथ लेन-देन का घाटा पहले के मुकाबले कम हुआ है, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छा संकेत माना जाता है।
RBI के रेट कट से घरों की डिमांड बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि RBI के पॉलिसी रेट में कटौती के फैसले से टियर 2 और टियर 3 शहरों में घरों की डिमांड को काफी सपोर्ट मिलेगा, जहां खरीदने के फैसलों में अफोर्डेबिलिटी एक अहम भूमिका निभाती है। घर खरीदने वाले EMI मूवमेंट को लेकर खास तौर पर सेंसिटिव होते हैं।
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