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2 min read | अपडेटेड April 22, 2025, 07:32 IST
सारांश
इससे पहले नाबालिगों को महज सेविंग अकाउंट खोलने की ही अनुमति थी, अब वह सेविंग्स अकाउंट के साथ-साथ फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट भी खोल पाएंगे।
आरबीआई के नए सर्कुलर में क्या कुछ है?
भारत में अब 10 साल से अधिक उम्र के नाबालिग (Minor) भी स्वतंत्र रूप से सेविंग्स अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट्स खोल पाएंगे। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) यानी कि भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार को बैंकों को इसको लेकर अनुमति दे दी है। आरबीआई ने सर्कुलर जारी करते हुए कहा कि बैंक अपनी रिस्क मैनेजमेंट पॉलिसी, प्रोडक्ट सूटेबिलिटी और कस्टमर उपयुक्तता के आधार पर माइनर अकाउंटहोल्डर्स को इंटरनेट बैंकिंग, एटीएम/डेबिट कार्ड और चेक बुक सुविधा जैसी अतिरिक्त बैंकिंग सुविधाएं देने के लिए स्वतंत्र हैं।
इससे पहले नाबालिगों को महज सेविंग अकाउंट खोलने की ही अनुमति थी, अब वह सेविंग्स अकाउंट के साथ-साथ फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट भी खोल पाएंगे। मौजूदा आरबीआई नियमों में नाबालिगों को नेट बैंकिंग, एटीएम/डेबिट कार्ड और चेक सुविधा देने का जिक्र नहीं है। आरबीआई ने यह भी कहा कि किसी भी उम्र के नाबालिगों को अपने प्राकृतिक या कानूनी अभिभावक के जरिए सेविंग और फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट्स खोलने और चलाने की अनुमति दी जा सकती है। आरबीआई ने कहा कि नाबालिग अभिभावक के रूप में मां के साथ ऐसे अकाउंट्स खोल सकते हैं।
बैंकों को भेजे गए सर्कुलर में आरबीआई ने कहा, ‘10 साल से कम आयु के नाबालिगों को, जो बैंकों द्वारा अपनी रिस्क मैनेजमेंट पॉलिसी को ध्यान में रखते हुए निर्धारित किए गए अमाउंट और शर्तों तक के लिए स्वतंत्र रूप से सेविंग/फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट खोलने और चलाने की अनुमति दी जा सकती है, अगर वे ऐसा करना चाहते हैं, और ऐसी शर्तों को अकाउंडहोल्डर्स को सही ढंग से बताया जाना चाहिए।’ आरबीआई ने कहा, ‘वयस्क होने पर, अकाउंटहोल्डर के फ्रेश ऑपरेटिंग इंस्ट्रक्शन और नमूना सिग्नेचर प्राप्त किए जाने चाहिए और उन्हें रिकॉर्ड में रखा जाना चाहिए।’ इसके अलावा, अगर अकाउंट अभिभावक द्वारा चलाया जाता है, तो बचे हुए अमाउंट की पुष्टि की जाएगी। आरबीआई ने कहा कि बैंकों को इन आवश्यकताओं की पूर्ति सुनिश्चित करने के लिए वयस्क होने वाले नाबालिग अकाउंटहोल्डर्स को इन आवश्यकताओं के बारे में सूचित करने सहित अग्रिम कार्रवाई करनी चाहिए।
आरबीआई ने कहा कि बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नाबालिगों के खाते, चाहे वे स्वतंत्र रूप से संचालित हों या अभिभावकों के जरिए, उनसे अधिक अमाउंट नहीं निकाली जाए और उनमें हमेशा बैलेंस बना रहे।
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