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2 min read | अपडेटेड October 26, 2024, 01:07 IST
सारांश
ट्रेडिंग के ऊपर यूं तो कई फैक्टर असर डालते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि ट्रेडर्स का रिलेशनशिप स्टेटस भी इससे जुड़ा होता है? ट्रेंड्स पर नजर डालें तो पाएंगे कि शादीशुदा ट्रेडर्स सिंगल्स की तुलना में ज्यादा फायदा कमाते हैं और उन्हें नुकसान भी कम झेलना पड़ता है।
फाइल फोटो
यूं तो स्टॉक मार्केट पर ट्रेडिंग को एक कैलकुलेटिव गेम माना जाता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ट्रेडर के पर्सनल बैकग्राउंड का इस बात पर काफी असर होता है कि किसी एक दिन उसे फायदा होगा या नुकसान। ट्रेडर शादीशुदा है या सिंगल, महिला है या पुरुष, इन सबके साथ परफॉर्मेंस में भी उतार- चढ़ाव देखा जाता है।
सिंगल रह गए पीछे मार्केट रेग्युलेटर SEBI का डेटा इस बात को दिखाता है कि चाहे ट्रेडिंग बिहेवियर हो या नतीजे, ट्रेडर्स की निजी जिंदगी का असर नतीजों पर बना रहता है। शादीशुदा ट्रेडर्स कई मामलों में सिंगल ट्रेडर्स से ज्यादा फायदा कमाते हैं। वहीं, नुकसान उठाने वालों की फेहरिस्त में भी सिंगल शादीशुदा ट्रेडर्स की तुलना में ज्यादा होते हैं।
FY2022-23 में 75% सिंगल ट्रेडर्स को नुकसान हुआ था जबकि 67% शादीशुदा ट्रेडर्स घाटे में गए थे। यह भी देखा गया है कि शादीशुदा ट्रेडर्स ने सिंगल्स की तुलना में औसतन ज्यादा ट्रेड किया था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मार्केट में उनकी मौजूदगी ज्यादा होती है।
महिलाएं हैं ज्यादा सफल पुरुषों की तुलना में महिला ट्रेडर्स को ज्यादा फायदा होता है। उन्हें नुकसान भी कम उठाना पड़ता है। हालांकि, साल 2019 से 2023 की तुलना में महिला ट्रेडर्स की संख्या में 4% की गिरावट देखी गई है। 2019 में जहां एक दिन में ट्रेड करने वालों में 20% महिलाएं थीं, वहीं 2023 में यह संख्या गिरकर 16% रह गई।
उम्र के साथ कम होता घाटा देखा गया है कि 20 साल से कम के ट्रेडर्स में से 81% को नुकसान उठाना पड़ रहा है जबकि 60 साल से ज्यादा के 53% ट्रेडर्स ही घाटे में जाते हैं। इसके पीछे मार्केट की समझ और कैलकुलेटेड रिस्क लेने की कला एक बड़ा कारण होता है।
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