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3 min read | अपडेटेड May 08, 2025, 11:20 IST
सारांश
ISRO Spy Satellites: इसरो और प्राइवेट सेक्टर मिलकर 52 सैटलाइट लॉन्च करेंगे जो रक्षाबलों की सर्वेलांस क्षमता को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएंगी। इसरो प्राइवेट सेक्टर के साथ Small Satellite Launch Vehicle (SSLV) टेक्नॉलजी भी शेयर करेगा। SSLV कम समय और कम कीमत में तैयार हो जाता है जिससे जरूरत पड़ने पर तेजी से सैटलाइट्स को लॉन्च किया जा सकता है।
इसरो का प्लान है स्पेस में आधारित सर्वेलांस सिस्टम के जरिए सेना की क्षमता को बढ़ाना।
स्पेस रेस में तेज रफ्तार से दौड़ रहे भारत की निगाहें इस डोमेन का इस्तेमाल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए करने पर टिकी हैं। इसी कड़ी में जल्द ही भारत की आंखें अंतरिक्ष में तैनात होंगी। डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस के अंतर्गत आने वाले इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन ऐंड ऑथराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) के चेयरमैन पवन कुमार गोयनका ने इस प्लान पर चर्चा करते हुए भारतीय स्पेस टेक्नॉलजी की क्षमताओं का जिक्र किया है।
गोयनका ने बताया है कि भारत अगले 5 साल में 52 सैटलाइट का ग्रुप ऑर्बिट में लॉन्च करेगा। इसके जरिए स्पेस में आधारित सर्वेलांस की क्षमताओं को बढ़ाया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि इस कदम में प्राइवेट सेक्टर की बड़ी भूमिका देखी जाएगी। ग्लोबल स्पेस एक्सप्लोरेशन कॉन्फ्रेंस 2025 में बोलते हुए गोयनका ने पहले से मौजूद मजबूत सुरक्षा क्षमता का हवाला देते हुए कहा कि उसे लगातार बेहतर करने की जरूरत है।
गोयनका ने कहा कि इन सैटलाइट्स को लॉन्च करने के पीछे रक्षा क्षेत्री की सर्वेलांस क्षमताओं को बढ़ाना एक अहम लक्ष्य है। इसलिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इसकी ओर काम किया है।
ये सैटलाइट्स भारतीय सुरक्षाबलों के तीनों हिस्सों- सेना, नौसेना और वायुसेना को दुश्मन के मूवमेंट को ट्रैक करने में मदद करेंगी। इसके अलावा बॉर्डर को मॉनिटर करने और मिलिट्री ऑपरेशन्स के दौरान रियल टाइम में कोऑर्डिनेशन को बेहतर करने में भी ये सैटलाइट अहम भूमिका निभाएगा।
गोयनका ने बताया कि आगे इसमें प्राइवेट सेक्टर को बड़े स्तर पर शामिल किया जाएगा। इन 52 सैटलाइट्स में से आधी सैटलाइट प्राइवेट सेक्टर डिलिवर करेगा और बाकी इसरो बनाएगा। हालांकि, उन्होंने साफ किया है कि सर्वेलांस क्षमता को बढ़ाने पर फैसला केंद्रीय गृह मंत्रालय और सुरक्षाबलों को करना होगा।
गोयनका ने यह भी बताया है कि इसरो स्मॉल सैटलाइट लॉन्च वीइकल (SSLV) टेक्नॉलजी प्राइवेट सेक्टर को ट्रांसफर करने के प्रोसेस में है।
SSLV छोटे सैटलाइट्स को पृथ्वी की निचली कक्षा (Low earth orbit) में लॉन्च कर सकता है। ऐसा करने के लिए इन वीइकल्स को बहुत तेजी से तैयार किया जा सकता है। इसलिए ये आपातकाल की स्थिति में सुरक्षा बलों के खास काम आ सकती हैं।
SSLV 10-500 किलो की सैटलाइट्स को 500 किमी के सर्कुलर ऑर्बिट में लॉन्च कर सकते हैं। खास बात यह है कि SSLV कम कीमत पर तैयार हो जाते हैं और इन्हें तैयार करने में समय भी कम लगता है। इन पर एक साथ कई सैटलाइट लॉन्च किए जा सकते हैं। इन्हें कम से कम लॉन्च इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत भी होती है।
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