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2 min read | अपडेटेड March 02, 2025, 14:02 IST
सारांश
दुनिया भर में टैरिफ वॉर छिड़ने का खतरा नजर आने लगा है। डोनाल्ड ट्रंप ने जब से अमेरिकी राष्ट्रपति की गद्दी दूसरी बार संभाली है, तब से बाकी देशों के साथ टैरिफ को लेकर कुछ ऐसे फैसले लिए हैं, जिसकी काफी निंदा भी हो रही है। इस बीच जीटीआरआई ने साफ कहा है कि भारत को अमेरिका को बताना चाहिए कि उनके टैरिफ डब्ल्यूटीओ नियम के तहत ही हैं।
भारत के टैरिफ WTO नियम के मुताबिक
आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा है कि भारत के आयात शुल्क (इंपोर्ट ड्यूटी) ग्लोबल ट्रेड नियमों के मुताबिक हैं और सरकार को अमेरिकी प्रशासन को इसकी जानकारी देनी चाहिए। जीटीआरआई ने यह भी कहा कि अमेरिका के साथ एक व्यापक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत काफी चुनौतीपूर्ण है। जीटीआरआई ने कहा कि अमेरिका, भारत पर अमेरिकी कंपनियों के लिए सरकारी खरीद खोलने, कृषि सब्सिडी कम करने, पेटेंट सुरक्षा को कमजोर करने और डेटा प्रवाह से अंकुश हटाने का दबाव डाल सकता है।
जीटीआरआई ने कहा कि भारत ने दशकों से इन मांगों का विरोध किया है और अब भी इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई मौकों पर आरोप लगाया है कि भारत में टैरिफ काफी ऊंचा है। ट्रंप भारत को ‘टैरिफ किंग’ और ‘टैरिफ एब्यूजर’ कह चुके हैं। टैरिफ सरकार द्वारा लगाई गई इंपोर्ट ड्यूटी है, जिसे सरकार जुटाती है। कंपनियां विदेशी सामान देश में लाने के लिए इसका भुगतान करती हैं।
जीटीआरआई फाउंडर अजय श्रीवास्तव ने कहा, 'भारत के टैरिफ वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के अनुरूप हैं। ये डब्ल्यूटीओ में जताई गई एकल प्रतिबद्धता का परिणाम है, जिसे 1995 में अमेरिका सहित सभी देशों ने मंजूरी दी थी। इंडियन टैरिफ डब्ल्यूटीओ के अनुरूप हैं। भारतीय पक्ष को अमेरिका को यह स्पष्ट करने की आवश्यकता है।' यह 166 सदस्यों वाला इकलौती इंटरनेशनल बॉडी है, जो विभिन्न देशों के बीच व्यापार नियमों को देखता है। 1995 में जब डब्ल्यूटीओ की स्थापना हुई थी, तब विकसित देश ट्रेड-रिलेटेड एसपेक्ट्स ऑफ इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार-संबंधित पहलुओं) (TRIPS), सर्विस ट्रेड उदारीकरण और कृषि नियमों पर प्रतिबद्धताओं के बदले में विकासशील देशों के हाइ टैरिफ बनाए रखने पर सहमत हुए थे।
उन्होंने कहा कि कई विकासशील देशों का तर्क है कि ट्रिप्स और कृषि के तहत की गई प्रतिबद्धताओं ने विकसित देशों को फायदा पहुंचाया है, जिससे उनकी औद्योगिकीकरण की क्षमता सीमित हो गई है। उन्होंने कहा, ‘भारत पर हाई टैरिफ की बात करते समय ट्रंप इसे आसानी से भूल गए हैं।’
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