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दो साल में लॉजिस्टिक कॉस्ट होगी 9%, जानें इकॉनमी के लिए क्यों जरूरी?

Shatakshi Asthana

3 min read | अपडेटेड October 26, 2024, 13:12 IST

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सारांश

भारत की लॉजिस्टिक कॉस्ट ग्लोबल औसत से कहीं ज्यादा है। लॉजिस्टिक पॉलिसी 2022 का टारगेट है 2030 तक इसे 8% पर लाने का। चीन, अमेरिका और यूरोपियन यूनियन हमसे इस मामले में कहीं आगे हैं। परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि अगले दो साल में इसे 9% लाया जा सकेगा।

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दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है भारत। हमारा लक्ष्य है 2025 तक 5 ट्रिल्यन डॉलर की इकॉनमी बनने का। हालांकि, भारत की जीडीपी का करीब 15% हिस्सा सिर्फ लॉजिस्टिक्स में चला जाता है। सरकार का भरोसा है कि हाइवे और एक्सप्रेसवे में इजाफा करके इस खर्च को अगले दो साल में 9% पर लाया जा सकता है।

क्यों है इतनी कीमत? इकॉनमिक सर्वे 2022-23 के मुताबिक भारत में 14-18% जीडीपी लॉजिस्टिक्स में खर्च होता है। इसकी एक बड़ी वजह है कनेक्टिविटी का अभाव और ईंधन की बढ़ी कीमतें। ईंधन के लिए हम आयात पर निर्भर हैं और मेथनॉल जैसे मिक्स फ्यूल अभी तेजी पकड़ रहे हैं। NITI आयोग अपनी रिपोर्ट में ग्रीन ट्रकिंग की जरूरत पर जोर डालता है।

रोड कनेक्टिविटी मौसम के साथ बदतर हो जाती है तो रेलवे तकनीकी खराबियों के कारण धीमी पड़ जाती है। चीन का ज्यादातर ट्रांसपोर्टेशन इनलैंड वॉटरवे से होता है जो भारत में पूरी तरह विकसित नहीं हो सका है। पोर्ट्स से लेकर वेयरहाउस और मार्केट के बीच में कनेक्टिंग सड़कों और वाहनों की भी भारी कमी है।

बाकी देशों का कितना खर्च? हमारे सबसे बड़े प्रतियोगी चीन का 9% जीडीपी लॉजिस्टिक्स पर खर्च होता है जिसे एक ग्लोबल स्टैंडर्ड माना जाता है। वहीं यूरोपियन देशों और अमेरिका में यह 8-10% है। इन देशों में झीलों, नहरों के रास्ते सस्ता ट्रांसपोर्टेशन उपलब्ध है। साथ ही ईंधन के भी कई साधन हैं।

नैशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी 2022 दो साल पहले लाई गई इस पॉलिसी के तहत ट्रांसपोर्टेशन से जुड़े हर पहलू पर ध्यान दिया गया है। प्लानिंग से लेकर रियल- टाइम ट्रैकिंग तक, टेक्नॉलजी का फायदा उठाया जा रहा है। इसके अंदर उत्पादन से लेकर डिस्ट्रिब्यूशन तक शामिल है।

मल्टी- मोडल ट्रांसपोर्टेशन, डिजिटाइजेशन की मदद से 2030 तक हमें लॉजिस्टिक कॉस्ट को 8% पर लाना है। साल 2018 में लॉजिस्टिक परफोर्मेंस इंडेक्स में भारत 44वें स्थान पर था और हमारा लक्ष्य 2030 तक टॉप 10 में आने का है। इसके लिए डिजिटल इंटिग्रेशन सिस्टम, यूनिफाइड लॉजिस्टिक इंटरफेस प्लैटफॉर्म, ईज ऑप लॉजिस्टिक सर्विसेज और एक ऐक्शन प्लान बनाया गया है।

क्या है आगे का प्लान? केंद्रीय रोड ट्रांसपोर्ट और हाइवे मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि सड़कों के निर्माण के लिए रीसाइकल किए हुए टायर के पाउडर और प्लास्टिक का इस्तेमाल करने से बाइटुमेन आयात पर निर्भरता कम होगी। वहीं, पराली को वैकल्पिक ऊर्जा की तरह इस्तेमाल करने से किसानों को भी फायदा होगा। पीएम गतिशक्ति जैसी इंटिग्रेटेड योजनाओं के जरिए सरकार की कोशिश लॉजिस्टिक कॉस्ट को कम करने की है।

लेखकों के बारे में

Shatakshi Asthana
Shatakshi Asthana बिजनेस, एन्वायरन्मेंट और साइंस जर्नलिस्ट हैं। इंटरनैशनल अफेयर्स में भी रुचि रखती हैं। मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से लाइफ साइंसेज और दिल्ली के IIMC से पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद अब वह जिंदगी के हर पहलू को इन्हीं नजरियों से देखती हैं।

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