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  1. क्या होते हैं जीनोम-एडिटेड चावल, क्यों किसानों के लिए किसी सौगात से कम नहीं? भारत बना पहला ऐसा देश जिसने...

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क्या होते हैं जीनोम-एडिटेड चावल, क्यों किसानों के लिए किसी सौगात से कम नहीं? भारत बना पहला ऐसा देश जिसने...

Upstox

2 min read | अपडेटेड May 05, 2025, 10:11 IST

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सारांश

आईसीएआर द्वारा विकसित पहली जीनोम संवर्धित चावल किस्मों- ‘डीआरआर धान 100 (कमला) और पूसा डीएसटी चावल 1’ का अनावरण किया। इन किस्मों से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का समाधान करने के साथ-साथ चावल की पैदावार को 30% तक बढ़ाया जा सकेगा

जीनोम-एडिटेड चावल

क्या होते हैं जीनोम-एडिटेड चावल, किन राज्यों के किसानों को मिलेगा फायदा?

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद यानी कि Indian Council of Agricultural Research Krishi Bhavan (आईसीएआर) द्वारा विकसित पहली जीनोम संवर्धित चावल किस्मों- ‘डीआरआर धान 100 (कमला) और पूसा डीएसटी चावल 1’ का अनावरण किया। इन किस्मों से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का समाधान करने के साथ-साथ चावल की पैदावार को 30% तक बढ़ाया जा सकेगा। चौहान ने कहा, ‘यह हमारे लिए एक अहम दिन है, जल्द ही, चावल की ये किस्में किसानों को उपलब्ध करा दी जाएंगी।’

किन राज्यों को मिलेगा फायदा?

उन्होंने कहा कि नई किस्मों से चावल की पैदावार 20-30% बढ़ जाएगी, जल संरक्षण होगा और चावल की खेती से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आएगी। इन किस्मों को आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी, बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, ओडिशा, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल सहित प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों के लिए रेकमंड किया गया है। वैज्ञानिकों ने इन दोनों किस्मों को दो व्यापक रूप से उगाए जाने वाले चावल प्रकार - सांबा महसूरी (बीपीटी5204) और एमटीयू1010 (कॉटनडोरा सन्नालू) को बेहतर तनाव सहिष्णुता, उपज और जलवायु अनुकूलनशीलता के साथ विकसित किया, जबकि उनकी मूल शक्तियों को बरकरार रखा।

क्या कुछ होता है खास जीनोम-एडिटेड चावल में?

दोनों किस्में बेहतरीन सूखे की सहनीयता और उच्च नाइट्रोजन-उपयोग दक्षता प्रदर्शित करती हैं। मंत्री ने कहा कि डीआरआर धान 100 (कमला) अपनी मूल किस्म की तुलना में लगभग 20 दिन पहले (130 दिन) पक जाती है, जिससे जल्दी कटाई संभव हो जाती है और फसल चक्र या कई फसल चक्रों की संभावना होती है। डीआरआर धान 100 (कमला) की कम अवधि किसानों को तीन सिंचाई बचाने की सुविधा देती है।

उन्होंने कहा कि 50 लाख हेक्टेयर में दोनों किस्मों की खेती से 45 लाख टन अतिरिक्त धान का उत्पादन हो सकता है। मंत्री ने कहा, ‘भारत उन्नत प्रौद्योगिकियों की खोज करके कृषि क्षेत्र को विकसित किए बिना विकसित राष्ट्र का लक्ष्य हासिल नहीं कर सकता।’ उन्होंने आईसीएआर के वैज्ञानिकों से देश की आयात निर्भरता को कम करने के लिए दलहन और तिलहन की बेहतर किस्में विकसित करने का आह्वान किया। ये जीनोम-संवर्धित चावल की किस्में भारत की कृषि जैव प्रौद्योगिकी में एक बड़ी प्रगति का प्रमाण हैं, जो जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा की दोहरी चुनौतियों के लिए व्यावहारिक समाधान पेश करती हैं।

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