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  1. भारत की आर्थिक वृद्धि होगी 7%, IMF के फोरकास्ट में क्या संकेत?

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भारत की आर्थिक वृद्धि होगी 7%, IMF के फोरकास्ट में क्या संकेत?

Shatakshi Asthana

3 min read | अपडेटेड October 26, 2024, 01:07 IST

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सारांश

IMF के ताजा फोरकास्ट के मुताबिक भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7% पर रहेगी। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर सकारात्मक संकेत मिलते हैं। आम आदमी से लेकर व्यापारियों तक सभी को इसका फायदा मिल सकता है। जानते हैं मजबूत अर्थव्यवस्था का क्या होगा असर-

तेजी से बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था

तेजी से बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था

इंटरनैशनल मॉनिटरी फंड के ग्रोथ फोरकास्ट 2024 के मुताबिक भारत का ग्रोथ रेट 7% रहेगा। इसके पहले इकॉनमिक सर्वे 2023-24 में भी साल 2024-25 के लिए 6.5-7% ग्रोथ रेट का फोरकास्ट किया गया था। जहां एक ओर जहां दुनिया के कई देश रूस- यूक्रेन जंग, ट्रेड वॉर, अंदरूनी कलह के चलते आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, भारत को लेकर सामने आ रहे अनुमान हमारी अर्थव्यवस्था की मजबूती को दिखाते हैं।

भारत का जीडीपी ग्रोथ रेट पिछले तीन वित्तीय वर्षों में 7% से ऊपर रहा है। 2023-24 में जीडीपी में 8.2% की ग्रोथ दर्ज की गई थी। भारतीय अर्थव्यवस्था की सकारात्मक चाल को देखते हुए समझा जा सकता है कि आम आदमी के लिए इसके क्या फायदे हो सकते हैं-

रोजगार बेहतर अर्थव्यवस्था के दम पर ज्यादा लेबर की मांग पैदा होती है। भारत में कुशल और अकुशल आलेबर की बड़ी आबादी है। आर्थिक वृद्धि से उद्योग आगे बढ़ेंगे और नए रोजगार पैदा होंगे। साथ ही वेतन और सोशल सिक्यॉरिटी भी ज्यादा होगी।

स्टॉक मार्केट में उछाल नैशनल स्टॉक एक्सचेंज के Nifty50 में 2023-24 के दौरान 240% की बढ़ोतरी देखी गई थी। वहीं, BSE का बेंचमार्क इंडेक्स Sensex भी 230% बढ़ा। आर्थिक वृद्धि के बेहतर होने से देश के कैपिटल मार्केट की राह भी सुनिश्चित होती है। इन्वेस्टर कॉन्फिडेंस के बूस्ट होने से स्टॉक मार्केट सूचकांक में उछाल देखा जाता है।

रियल एस्टेट में निवेश आमदनी में बढ़त होने से लोग खुद का घर बनाने का सपना देखते हैं और रियल एस्टेट में निवेश करते हैं। मांग बढ़ने से संपत्ति की कीमत और किराये की राशि भी बढ़ती है। इससे संपत्ति के मालिकों और निवेशकों, दोनों को फायदा होता है। इसके साथ ही इन्फ्रास्ट्रक्चर पर निवेश भी बढ़ता है जिससे सार्वजनिक सुविधाएं बेहतर होती हैं।

टैक्स सरकार की आमदनी बढ़ने से वह उद्योगों और कंपनी मालिकों को ज्यादा सब्सिडी, टैक्स कट और इंसेंटिव दे पाती है जिससे आर्थिक ग्रोथ को बूस्ट मिलता है। टैक्स कट होने से लोगों के पास खर्च करने को ज्यादा आय बचती है। इसे वे सेविंग्स में भी लगा सकते हैं।

बचत और कर्ज अगर ग्रोथ के साथ महंगाई बढ़ने लगती है तो भारतीय रिजर्व बैंक इंटरेस्ट रेट में फेरबदल कर सकता है। इससे कर्ज लेने की कीमत बढ़ सकती है लेकिन सेविंग्स पर बेहतर रिटर्न मिल सकता है। जब अर्थव्यवस्था मजबूत होती है तो पर्सनल या बिजनेस के लिए लोन लेना आसान हो जाता है।

IMF के ताजा फोरकास्ट के बाद अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है और इसका असर आम आदमी से लेकर व्यापारियों तक व्यापक रूप से देखा जा सकेगा।

लेखकों के बारे में

Shatakshi Asthana
Shatakshi Asthana बिजनेस, एन्वायरन्मेंट और साइंस जर्नलिस्ट हैं। इंटरनैशनल अफेयर्स में भी रुचि रखती हैं। मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से लाइफ साइंसेज और दिल्ली के IIMC से पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद अब वह जिंदगी के हर पहलू को इन्हीं नजरियों से देखती हैं।

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