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3 min read | अपडेटेड March 25, 2025, 17:45 IST
सारांश
Electricity Demand: गर्मियां आने के साथ ही एसी, कूलर की मांग बढ़ने लगी है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस साल ताबड़तोड़ गर्मी रहेगी। ऐसे में इस साल गर्मी में बिजली की डिमांड में 9-10% का इजाफा देखने को मिल सकता है। घरेलू बिजली की खपत का हिस्सा 2012-13 में 22% से बढ़कर 2022-23 में 25% हो गया।
जलवायु परिवर्तन से गर्मी बढ़ी तो बिजली की मांग में भी इजाफा।
देश में इस साल ज्यादा गर्मी पड़ने के मौसमी अनुमानों को देखते हुए विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि भारत को इस साल गर्मी में बिजली की डिमांड में 9-10% का इजाफा देखने को मिल सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस साल ज्यादा गर्मी पड़ने के कारण ऐसा होने की संभावना है।
मौसम विज्ञान विभाग ने मार्च से मई तक चलने वाले गर्मी के मौसम के दौरान देश के ज्यादाांश हिस्सों में सामान्य से ज्यादा ज्यादातम और न्यूनतम तापमान का अनुमान लगाया है।
पिछले साल राष्ट्रीय स्तर पर बिजली की ज्यादातम मांग 30 मई को 250 गीगावाट को पार कर गई थी जो अनुमान से 6.3% ज्यादा थी। जलवायु परिवर्तन से प्रेरित गर्मी का तनाव बिजली की मांग को बढ़ाने वाले प्रमुख कारकों में से एक है।
वर्तमान में उद्योग, घरेलू उपभोग और कृषि क्षेत्र की कुल बिजली खपत में क्रमशः 33%, 28% और 19% हिस्सेदारी है। दिल्ली स्थित शोध संस्थान ‘काउंसिल ऑन एनर्जी, एन्वायरनमेंट एंड वाटर’ में वरिष्ठ कार्यक्रम प्रमुख दिशा अग्रवाल के मुताबिक, पिछले एक दशक में घरेलू बिजली की मांग सबसे तेजी से बढ़ी है।
घरेलू बिजली की खपत का हिस्सा 2012-13 में 22% से बढ़कर 2022-23 में 25% हो गया। यह तेजी आर्थिक वृद्धि और बढ़ते तापमान के कारण घरों एवं दफ्तरों को ठंडा रखने की बढ़ती जरूरतों के कारण है।
अग्रवाल ने कहा कि 2024 की गर्मियों में रिकॉर्डतोड़ तापमान के बीच कमरे के एयर कंडीशनर की बिक्री में सालाना आधार पर 40-50% की वृद्धि देखी गई।
दिशा का कहना है कि भारत को अब लंबी गर्मी और 9-10% की बिजली की मांग में वृद्धि के लिए तैयार रहना चाहिए। हालांकि, हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि यह चरम मांग केवल थोड़े समय तक ही रहेगी।
अग्रवाल ने कहा कि भारत की बिजली की खपत 2020-21 से सालाना लगभग नौ% की दर से बढ़ रही है, जबकि इससे पहले के दशक में यह 5% प्रति वर्ष थी।
वहीं, पिछले हफ्ते नैचुरल रिसोर्स डिफेंस काउंसिल की तरफ से आयोजित एक सम्मेलन में विशेषज्ञों ने गर्मी के मौसम में तापमान बढ़ने के कारण एयर कंडीशनिंग की मांग बढ़ने को लेकर चिंता जताई।
विश्व बैंक में दक्षिण एशिया के लिए ढांचागत नीति एवं वित्त के प्रबंधक आभास झा ने कहा कि मध्यम उत्सर्जन परिदृश्य के तहत, भारत में लू चलने के मामले तिगुना होने के आसार हैं।
झा का कहना है कि भारत वैश्विक स्तर पर एयर कंडीशनर (एसी) का सबसे बड़ा बाजार बनने के लिए तैयार है। हर 15 सेकंड में भारत में एक एसी बेचा जाता है। देश में एसी की पहुंच वर्तमान में लगभग आठ% है जबकि विकसित देशों में यह 90% है। ऐसे में भारत में एसी की पहुंच बढ़ने जा रही है।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में ऑक्सफोर्ड इंडिया सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट की शोध निदेशक ऋषिका खोसला ने कहा, ‘संख्या बढ़ने के बावजूद 2050 में दो से पांच अरब लोगों की एयर कंडीशनर तक पहुंच नहीं होगी।’
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