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Donald Trump Tariff: अमेरिका आज जवाबी टैरिफ लगाने के लिए तैयार, भारत के किन सेक्टर्स पर कितना होगा असर?

Upstox

5 min read | अपडेटेड April 02, 2025, 08:13 IST

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सारांश

Donald Trump Tariff plan: भारत की वाणिज्य मंत्रालय अमेरिका के जवाबी टैरिफ से निपटने के लिए अलग-अलग संभावनाओं पर काम कर रही है। यह टैक्स अलग-अलग सेक्टर्स पर अलग-अलग असर डाल सकता है। भारत इस कदम के संभावित प्रभावों का आकलन कर रहा है और अपनी व्यापारिक रणनीति तैयार कर रहा है।

 Donald Trump का मानना है कि इस फैसले से अमेरिका के ट्रेड डेफिसिट को कम करने और मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

Donald Trump का मानना है कि इस फैसले से अमेरिका के ट्रेड डेफिसिट को कम करने और मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

Donald Trump Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आज 2 अप्रैल को दुनियाभर के देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ (Reciprocal Tariffs) लगाने जा रहे हैं।इस दिन को उन्होंने मुक्ति दिवस यानी लिबरेशन डे (Liberalisation Day) का नाम दिया है। व्हाइट हाउस ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आगामी टैरिफ बुधवार को घोषित होने के तुरंत बाद लागू हो जाएंगे। प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने यह जानकारी दी। टैरिफ की घोषणा स्थानीय समय के अनुसार आज शाम 4 बजे होनी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप वाइट हाउस के रोज गार्डन में इसका ऐलान करने जा रहे हैं।

टैरिफ को लेकर अस्पष्टता के बीच एक अप्रैल को भारतीय शेयर बाजार में भारी बिकवाली देखने को मिली। ट्रंप का मानना है कि इस फैसले से अमेरिका के ट्रेड डेफिसिट को कम करने और मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

भारत शुल्क दरों में करेगा बड़ी कटौती: ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप ने प्रमुख ट्रेड पार्नटर्स देशों पर दो अप्रैल से जवाबी टैरिफ लगाए जाने के पहले कहा कि भारत ‘अपनी शुल्क दरों में बहुत बड़ी कटौती करेगा।’ ट्रंप कई बार भारत को बहुत ऊंचे शुल्क वाला देश बता चुके हैं। इसी क्रम में उन्होंने भारत के अलावा कुछ अन्य देशों से आयातित उत्पादों पर दो अप्रैल से जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की है।

इस बारे में पूछे जाने पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि बहुत से (देश) अपने शुल्क में कटौती करेंगे क्योंकि वे वर्षों से अमेरिका पर अनुचित तरीके से शुल्क लगाते आ रहे हैं। यदि आप यूरोपीय संघ को देखें, तो उसने कारों पर पहले ही अपने शुल्क को 2.5 प्रतिशत तक घटा दिया है।’’

भारत की टैरिफ से निपटने के लिए क्या है तैयारी?

डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले का असर भारत पर भी पड़ सकता है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक भारत की वाणिज्य मंत्रालय इससे निपटने के लिए अलग-अलग संभावनाओं पर काम कर रही है। यह टैक्स अलग-अलग सेक्टर्स पर अलग-अलग असर डाल सकता है। भारत इस कदम के संभावित प्रभावों का आकलन कर रहा है और अपनी व्यापारिक रणनीति तैयार कर रहा है।

भारत और अमेरिका व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर भी काम कर रहे हैं। घरेलू उद्योग और निर्यातकों ने भारत के निर्यात पर अमेरिका के जवाबी टैरिफ के संभावित प्रभाव पर चिंता जताई है। ये टैरिफ ग्लोबल मार्केट्स में वस्तुओं को कंपटीशन से बाहर कर सकते हैं। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। सूत्रों ने कहा कि इन शुल्कों का प्रभाव कई सेक्टर्स पर अलग-अलग हो सकता है। मंत्रालय अलग-अलग परिदृश्य तैयार कर रहा है।

ये परिदृश्य घरेलू कंपनियों को इन टैरिफ से निपटने में मदद करने के लिए अहम होंगे। अभी भी यह अनिश्चित है कि अमेरिका टैरिफ की मात्रा और तरीके को किस प्रकार लागू करने की योजना बना रहा है।

भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ में कितना अंतर?

अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (USTR) की राष्ट्रीय व्यापार अनुमान (NTE) रिपोर्ट 2025 के अनुसार भारत अमेरिकी वस्तुओं पर ऊंची आयात शुल्क दरें लागू करता है। इनमें कृषि उत्पाद, दवाइयों के फॉर्मूलेशन और शराब जैसे पेय पदार्थ शामिल हैं। इसके अलावा, भारत नॉन-टैरिफ बेरियर भी लागू करता है। एक अन्य सूत्र ने कहा कि यह अब भी स्पष्ट नहीं है कि शुल्क कैसे लागू किए जाएंगे। यह उत्पाद स्तर पर होगा या फिर क्षेत्र स्तर पर अथवा देश स्तर पर।

वर्तमान में, अमेरिकी वस्तुओं पर भारत में 7.7 फीसदी का वेटेड एवरेज टैरिफ लगता है, जबकि अमेरिका को होने वाले भारतीय निर्यात पर केवल 2.8 फीसदी शुल्क लगता है। यानी इसमें 4.9 फीसदी का अंतर है।

अमेरिका को भारतीय कृषि निर्यात पर वर्तमान में 5.3 फीसदी शुल्क लगता है, जबकि भारत को अमेरिकी कृषि निर्यात पर 37.7 फीसदी शुल्क लगता है। यानी इसमें 32.4 फीसदी का अंतर है। एक्सपर्ट्स ने कहा कि क्षेत्र स्तर पर, भारत और अमेरिका के बीच संभावित शुल्क अंतर कई क्षेत्रों में अलग-अलग हैं।

रसायन और औषधि क्षेत्र के लिए यह अंतर 8.6 फीसदी, प्लास्टिक के लिए 5.6 फीसदी, कपड़े और परिधान के लिए 1.4 फीसदी, हीरे, सोने और आभूषणों के लिए 13.3 फीसदी, लोहा, इस्पात और ‘बेस मेटल’ के लिए 2.5 फीसदी, मशीनरी और कंप्यूटर के लिए 5.3 फीसदी, इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए 7.2 फीसदी और व्हीकल और व्हीकल पार्ट्स के लिए 23.1 फीसदी है।

टैरिफ हाइक का भारत के किन सेक्टर्स पर होगा सबसे ज्यादा असर?

एक शोध संस्था GTRI के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप के नए टैक्स नियमों का भारत के कुछ उद्योगों पर गंभीर असर पड़ेगा। मछली, मांस और प्रोसेस्ड सीफूड के 2.58 अरब डॉलर के निर्यात पर 27.83% ज्यादा शुल्क लगेगा। डेयरी उत्पादों के 181.49 मिलियन डॉलर के निर्यात पर 38.23% तक अधिक शुल्क लगाया जाएगा, जिससे यह सेक्टर बुरी तरह प्रभावित होगा। इसके अलावा, प्रोसेस्ड फूड, चीनी और कोकोआ से जुड़े 1.03 अरब डॉलर के निर्यात पर 24.99% तक ज्यादा टैक्स लगेगा, जिससे इन क्षेत्रों को नुकसान होगा।

शराब, वाइन और स्पिरिट पर सबसे अधिक 122.10 फीसदी टैरिफ हाइक का सामना करना पड़ेगा। 199.75 मिलियन डॉलर के निर्यात वाले खाद्य तेलों पर 10.67 फीसदी टैरिफ हाइक का सामना करना पड़ रहा है। 1.91 बिलियन डॉलर के मूल्य वाले अनाज, सब्जियां, फल और मसालों पर 5.72 फीसदी टैरिफ अंतर है।

10.31 मिलियन डॉलर के निर्यात पर जीवित पशुओं और पशु उत्पादों पर 27.75 फीसदी टैरिफ अंतर है। 12.72 बिलियन डॉलर के मूल्य वाले भारत के सबसे बड़े औद्योगिक निर्यातक फार्मास्युटिकल सेक्टर पर 10.90 फीसदी टैरिफ अंतर है। 11.88 बिलियन डॉलर के निर्यात वाले हीरे, सोने और चांदी पर 13.32 फीसदी टैरिफ हाइक होगी। 14.39 बिलियन डॉलर के मूल्य वाले इलेक्ट्रिकल, टेलीकॉम और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात पर 7.24 फीसदी टैरिफ है।

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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