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3 min read | अपडेटेड April 09, 2025, 09:41 IST
सारांश
कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिली है और यह अपने चार साल के निचले स्तर से नीचे लुढ़क गया है। कच्चे तेल की गिरती कीमतों से पूरी दुनिया पर मंदी का खतरा भी मंडराने लगा है। चलिए समझते हैं किन वजहों से कच्चे तेल की कीमतों में आई भारी गिरावट।
कच्चा तेल अपने चार साल के निचले स्तर से नीचे लुढ़का
डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ घोषणाओं को लेकर अनिश्चितता और सऊदी अरब की ब्याज दरों में कटौती का असर बुधवार को कच्चे तेल की कीमतों पर देखने को मिला। कच्चे तेल की कीमत बुधवार को अपने चार साल से भी ज्यादा के निचले स्तर पर पहुंच गई है। एशियाई शेयर मार्केट में सुबह के शुरुआती सौदों के दौरान WTI कच्चे तेल की कीमत $57.70 (4,993.82 रुपये) के आसपास रही, जिसने लगभग 3.20% की इंट्राडे गिरावट दर्ज की। ब्रेंट फ्यूचर्स $2.13 या 3.39% गिरकर 0108 GMT तक $60.69 प्रति बैरल पर आ गया। यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड फ्यूचर्स $2.36 या 3.96% गिरकर $57.22 पर आ गया। ब्रेंट मार्च 2021 में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया, और WTI फरवरी 2021 में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर अप्रैल एक्सपायरी के लिए कच्चे तेल का फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट मंगलवार को 1.78% या 94 रुपये प्रति बैरल गिरकर 5,199 रुपये प्रति बैरल पर बंद हुआ।
मिंट की खबर के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ज्यादातर देशों पर इंपोर्ट ड्यूटी की घोषणा की जिसके बाद से दोनों बेंचमार्क लगातार पांच सेशन में गिर चुके हैं। इसके बाद से चिंता लगातार बढ़ती जा रही है कि ग्लोबल ट्रेड वॉर से आर्थिक विकास पर नेगेटिव इम्पैक्ट पड़ेगा और साथ ही ईंधन की मांग को भी प्रभावित करेगा। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने मंगलवार को एक ब्रीफिंग में कहा कि अमेरिका बुधवार को 12:01 बजे EDT (0401 GMT) से चीन पर 104% टैरिफ लगाएगा। अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ के ऐलान के बाद चीन की जवाबी कार्रवाई से अमेरिका नाखुश था और ट्रंप ने यह एडिशनल टैरिफ हटाने के लिए चीन को मंगलवार दोपहर तक की डेडलाइन दी थी। कमोडिटी बाजार के विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते टैरिफ वॉर और सऊदी अरब द्वारा दरों में कटौती की घोषणा से मांग की चिंताओं के कारण कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में कमोडिटी और करेंसी हेड अनुज गुप्ता ने शेयर मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारणों पर बात करते हुए कहा, ‘बुधवार को एशियाई ट्रेड में तेल की कीमतें चार साल के निचले स्तर पर पहुंच गईं, क्योंकि तेजी से बढ़ते यूएस-चीन ट्रेड वॉर के संकेतों ने मंदी और कमजोर मांग को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।’ उन्होंने कहा कि सऊदी अरब द्वारा उत्पादन बढ़ाने और तेल की कीमतों में कमी करने की घोषणा भी कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट का एक महत्वपूर्ण कारण है।
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