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3 min read | अपडेटेड April 08, 2025, 08:42 IST
सारांश
PM Mudra Yojana: साल 2015 में शुरू की गई पीएम मुद्रा योजना (PMMY) के तहत अब तक 52 करोड़ से ज्यादा लोन दिए जा चुके हैं। इस योजना का सबसे ज्यादा फायदा महिलाओं को हुआ है जिन्होंने व्यापार के क्षेत्र में कदम रखा है और वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को आगे बढ़ाया है। मुद्रा योजना के लाभार्थियों में 68% महिलाएं हैं।
अप्रैल 2015 में लॉन्च हुई प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के जरिए छोटे-मझोले व्यापारियों को संस्थागत क्रेडिट मिलने में आसानी का लक्ष्य रखा गया।
सूक्ष्म और लघु उद्योगों को फंड उपलब्ध कराने के लक्ष्य से लाई गई महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PM Mudra Yojana, PMMY) को मंगलवार 8 अप्रैल को 10 साल पूरे हो रहे हैं।
इस योजना के तहत व्यापार करने के लिए कैपिटल जुटाने की प्रक्रिया को आसान बनाने की पहल की गई थी जिससे बड़ी संख्या में ऑन्त्रप्रन्यॉर अपने व्यापार की नींव रखने में सफल रहे। इस योजना को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund, IMF) ने महिला सशक्तीकरण से लेकर ऑन्त्रप्रन्यॉरशिप को बढ़ावा देने के लिए सराहा है।
भारत में कृषि क्षेत्र के बाद सबसे ज्यादा संख्या में लोग (करीब 10 करोड़) माइक्रो एंटरप्राइजेज के साथ जुड़े हैं जो मैन्युफैक्चरिंग, ट्रेडिंग से लेकर सर्विस सेक्टर में विस्तृत है।
अप्रैल 2015 में लॉन्च होने के बाद से PMMY के तहत ₹32.61 लाख करोड़ के 52 करोड़ लोन सैंक्शन किए जा सके हैं। खासकर छोटे शहरों में इसका असर देखा गया जहां लोगों ने खुद का बिजनेस करने का विकल्प पाया।
PM मुद्रा योजना (PMMY) के तहत माइक्रो यूनिट्स को बिना कौलैटरल संस्थागत लोन दिया जाता है। इससे जुड़े संस्थान, जैसे शेड्यूल्ड कमर्शल बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी और माइक्रो फाइनेंस इंस्टिट्यूशन्स ₹20 लाख तक का क्रेडिट देते हैं।
SBI रिपोर्ट के मुताबिक MSMEs (सूक्ष्य, मध्यम और लघु उद्योगों) में मुद्रा योजना के असर से क्रेडिट की उपलब्धता तेजी से बढ़ी है। FY14 में MSME को क्रेडिट लेंडिंग ₹8.51 लाख करोड़ से बढ़कर FY24 में ₹27.25 लाख करोड़ पर पहुंच गई।
रिपोर्ट में अंदाजा लगाया गया है कि यह FY25 में ₹30 लाख करोड़ को पार कर जाएगी। बैंकों की ओर से दिए जाने वाले क्रेडिट में MSME का हिस्सा भी इन 10 साल में 15.8% से बढ़कर 20% पर पहुंच गया।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक क्रेडिट की उपलब्धता के सहारे भारत की अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ी है और जमीनी स्तर पर नौकरियां पैदा की जा सकी हैं।
इसका खास असर महिला सशक्तीकरण पर देखा गया है। मुद्रा योजना के लाभार्थियों में 68% महिलाएं हैं। FY16 से FY25 के बीच हर महिला लाभार्थी को मिलने वाला क्रेडिट अमाउंट ₹62,679 से बढ़कर ₹95,269 पर जा पहुंचा। इससे लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन में भी इजाफा दर्ज किया गया।
SBI की रिपोर्ट के मुताबिक 50% मुद्रा अकाउंट्स SC, ST और OBC व्यापारियों के हैं जिससे वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को बल मिलताहै। वहीं, 11% मुद्रा लोनधारक अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं। वित्त मंत्रालय के मुताबिक यह पिछले तबकों के अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में शामिल होने का संकेत है।
फरवरी 2025 तक इस योजना के तहत सबसे ज्यादा (₹3.2 लाख करोड़) लोन तमिलनाडु में दिए गए हैं। इसके बाद उत्तर प्रदेश (₹3.14 लाख करोड़) और कर्नाटक (₹3.02 लाख करोड़) आते हैं।
पश्चिम बंगाल में ₹2.82 लाख करोड़, बिहार में ₹2.81 लाख करोड़ और महाराष्ट्र में ₹2.74 लाख करोड़ के लोन मुद्रा योजना के तहत बांटे गए जबकि जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में ₹45 हजार करोड़ का क्रेडिट दिया गया।
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