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3 min read | अपडेटेड May 13, 2025, 11:40 IST
सारांश
Quantum Key Distribution in Drone Based Systems: केंद्र सरकार के रिसर्च संस्थान C-DOT ने Synergy Quantum India के साथ ड्रोन आधारित सिस्टम्स में क्वॉन्टम टेक्नॉलजी के इस्तेमाल को डिवेलप करने के लिए समझौता ज्ञापन पर साइन किया है। दोनों संस्थान मिलकर Quantum Key Distribution पर काम करेंगे।
क्वॉन्टम की डिस्ट्रिब्यूशन (QKD) के जरिए डेटा ट्रांसफर में के दौरान की गई छेड़छाड़ की कोशिश तुरंत पकड़ में आ जाती है।
भारत सरकार ने ड्रोन आधारित सिस्टम्स को और ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए क्वॉन्टम कम्यूनिकेशन टेक्नॉलजी की ओर एक और कदम उठाया है और प्राइवेट सेक्टर की डीप-टेक कंपनी Synergy Quantum India Pvt. Ltd. के साथ डील की है। ये डील ड्रोन आधारित सिस्टम्स में क्वॉन्टम की डिस्ट्रिब्यूशन (QKD) के जरिए कम्यूनिकेशन डिवेलपमेंट में सहयोग के लिए की गई है।
आत्मनिर्भर भारत के तहत देश के अंदर रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए और सुरक्षित संपर्क तकनीक में भारत की क्षमता को बेहतर करने के लिए यह पार्टनरशिप की गई है। QKD के तहत क्वॉन्टम टेक्नॉलजी की मदद से ‘एन्क्रिप्शन की’ डिस्ट्रिब्यूट की जाती है। इस ‘की’ का इस्तेमाल डीक्रिप्शन के लिए होता है। अगर कोई इसके साथ छेड़छाड़ की कोशिश करता है तो इसका पता आसानी से लगाया जा सकता है।
डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्यूनिकेशन के तहत आने वले रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट संस्थान C-DOT (सेंटर फॉर डिवेलपमेंट ऑफ टेलिमैटिक्स) ने सिनर्जी क्वॉन्टम इंडिया के साथ समझौता ज्ञापन साइन किया है।
इसके तहत टेक्नॉलजी रेडीनेस लेवल (TRL) 6 या उससे ऊपर पोलराइजेशन एन्कोडिंग के साथ डिकॉय आधारित BB84 प्रोटोकॉल का इस्तेमाल होना है। इस पार्टनरशिप के तहत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ग्रांट्स के लिए रिसर्च प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे। साथ ही वाइट पेपर, पब्लिकेशन के जरिए रिसर्च के रिजल्ट्स को पब्लिश किया जाएगा।
QKD के तहत परंपरागत तरीकों में इस्तेमाल होने वाले कंप्यूटेशन की जगह क्वॉन्टम टेक्नॉलजी का इस्तेमाल होता है। इसमें डेटा क्वॉन्टम बिट्स या क्यूबिट्स के जरिए शेयर होता है। यानी ऑप्टिकल टेक्नॉलजी की मदद से फोटॉन ट्रांसफर होता है।
जिस BB84 प्रोटोकॉल का इस्तेमाल C-DOT और सिनर्जी क्वॉन्टम इंडिया की इस पार्टनरशिप के तहत किया जाना है वह क्वॉन्टम ‘की’ एक्सचेंज करने का सिक्योर तरीका है। बेनेट-ब्रसार्ड 1984 प्रोटोकॉल अनिश्चितता के सिंद्धांत पर आधारित है जिसके मुताबिक क्वॉन्टम डेटा को बिना उसमें बदलाव किए इंटरसेप्ट, कॉपी या नापा नहीं जा सकता। BB84 डेटा को एन्क्रिप्ट करने के लिए जरूरी क्वॉन्टम ‘की’ जेनरेट करता है। यह सुनिश्चित करता है कि अगर कोई कोशिश भी करे तो भी बीच में डेटा को डीक्रिप्ट ना कर सके।
ज्ञापन पर हस्ताक्षर समारोह को संबोधित करते हुए C-DOT के सीईओ डॉ. राजकुमार उपाध्याय ने कहा कि भारत के एक सुरक्षित और आत्मनिर्भर डिजिटल भविष्य को आकार देने के लिए सार्वजनिक अनुसंधान और विकास और निजी नवाचार का समन्वय आवश्यक है।
क्वॉन्टम प्रौद्योगिकियों में अगली पीढ़ी के सुरक्षित संचार के लिए अपार संभावनाएं हैं और सिनर्जी क्वांटम के साथ यह सहयोग इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में स्वदेशी क्षमता बढ़ाने के हमारे साझा दृष्टिकोण को दर्शाता है। हम अपनी शोध की गहराई को उद्योग की चुस्ती के साथ जोड़कर समाधान विकसित करने का लक्ष्य रखते हैं जो न केवल राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को संबोधित करते हैं बल्कि भारत को क्वांटम नवाचार में एक वैश्विक खिलाड़ी बनने में भी योगदान देते हैं।
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